


इंग्लैंड के खिलाफ एजबेस्टन टेस्ट में मिली ऐतिहासिक जीत के बाद भारतीय कप्तान शुभमन गिल ने इसे अपने करियर का एक बेहद यादगार पल बताया है। गिल ने मैच के बाद पत्रकारों से बातचीत में कहा-"जब भी मैं क्रिकेट से संन्यास लूंगा, तो यह जीत मेरी सबसे सुखद यादों में से एक रहेगी। इंग्लैंड में, खासकर एजबेस्टन जैसे मैदान पर टेस्ट जीतना किसी सपने के सच होने जैसा है।"
भारत की एजबेस्टन में पहली टेस्ट विजय
एजबेस्टन क्रिकेट ग्राउंड, बर्मिंघम का वह ऐतिहासिक मैदान है जहां भारत को इससे पहले कभी टेस्ट जीत नहीं मिली थी। इंग्लैंड का यह मैदान मेज़बान टीम के लिए एक मजबूत गढ़ माना जाता रहा है। मगर गिल की अगुवाई में भारतीय टीम ने इस मिथक को तोड़ते हुए 336 रन के विशाल अंतर से इंग्लैंड को शिकस्त दी।यह न सिर्फ सीरीज बराबर करने वाली जीत थी, बल्कि इसने भारतीय क्रिकेट इतिहास में भी एक नई उपलब्धि दर्ज की।
गिल की कप्तानी में दिखा आत्मविश्वास और रणनीति
25 वर्षीय शुभमन गिल के लिए यह सीरीज बतौर कप्तान पहला बड़ा अवसर था। हालांकि लीड्स में खेले गए पहले टेस्ट में टीम को हार का सामना करना पड़ा था, लेकिन गिल ने न सिर्फ टीम का मनोबल बनाए रखा, बल्कि रणनीतिक रूप से बदलाव करते हुए दूसरे टेस्ट में शानदार वापसी कराई। मैच में गेंदबाजों और बल्लेबाजों दोनों ने बेजोड़ प्रदर्शन किया। भारत की बल्लेबाजी में संतुलन और गेंदबाजों की सटीकता ने इंग्लैंड को हर मोर्चे पर पछाड़ दिया।गिल ने कहा, "हम जानते थे कि एजबेस्टन में जीत आसान नहीं होगी। लेकिन हमारी टीम ने जिस तरह एकजुट होकर खेला, वह गर्व की बात है।"
सीरीज में अब नई जान
इस जीत के साथ पांच टेस्ट मैचों की सीरीज 1-1 से बराबर हो गई है। अब दोनों टीमों के बीच शेष मुकाबलों में ज़बरदस्त टक्कर की उम्मीद है। क्रिकेट जानकारों का मानना है कि गिल की कप्तानी से भारतीय टीम को एक नया दिशा और ऊर्जा मिली है, जो भविष्य में लंबे समय तक टीम इंडिया के लिए फायदेमंद हो सकती है।
सिर्फ खिलाड़ी नहीं, अब नेतृत्वकर्ता भी
शुभमन गिल पहले ही एक विश्वसनीय बल्लेबाज के तौर पर टीम इंडिया में अपनी पहचान बना चुके हैं, लेकिन यह सीरीज उनके नेतृत्व कौशल की भी परीक्षा है। जिस तरह उन्होंने दबाव में संयम और आत्मविश्वास दिखाया, उससे यह स्पष्ट हो गया कि वे टीम को आगे ले जाने की क्षमता रखते हैं।