


सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को साइबर अपराधियों के खिलाफ प्रिवेंटिव डिटेंशन (रोकथाम के लिए नजरबंदी) कानूनों के इस्तेमाल में तमिलनाडु के अपनाए गए रवैये की तारीफ की। जस्टिस संदीप मेहता ने साइबर धोखाधड़ी के एक आरोपी के खिलाफ जारी नजरबंदी आदेश को चुनौती देने वाली याचिका की सुनवाई के दौरान यह टिप्पणी की।
सुप्रीम कोर्ट ने इस कारण की सराहना
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह राज्य की ओर से एक अच्छी प्रवृत्ति है कि साइबर कानून के उल्लंघन करने वालों के खिलाफ रोकथाम नजरबंदी कानूनों का प्रयोग किया जा रहा है। सामान्य आपराधिक कानून इन अपराधियों के खिलाफ प्रभावी साबित नहीं हो रहे हैं।
क्या था पूरा मामला
मामला भानुमति नामक एक महिला की शिकायत पर दर्ज हुआ था, जिसमें 84,50,000 की साइबर धोखाधड़ी का आरोप लगाया गया। इसमें से 12,14,000 कथित रूप से नजरबंद व्यक्ति के एक खाते में ट्रांसफर किए गए थे। पुलिस के अनुसार, जांच से यह सामने आया कि अभिजीत सिंह ने अपने और अपने परिवार के सदस्यों के नाम पर चार कंपनिया बनाई थीं और धोखाधड़ी से मिले पैसे को इधर-उधर करने के लिए कई बैंक खाते खोले थे।