भारतीय समाज में युवाओं का विवाह से मोहभंग: परिवार और समाज के लिए एक गंभीर चुनौती
भारतीय संस्कृति में विवाह केवल दो व्यक्तियों का ही नहीं, दो परिवारों का भी पवित्र बंधन माना जाता रहा है। यह सामाजिक, धार्मिक और नैतिक मूल्यों की नींव पर आधारित एक संस्था है। किंतु हाल के वर्षों में देखा जा रहा है कि भारत में अनेक युवा विवाह के प्रति उदासीन होते जा रहे हैं। वे या तो विवाह में देरी कर रहे हैं, विवाह से पूरी तरह दूर रह रहे हैं, या विवाह को एक ऐच्छिक संस्था मान रहे हैं।
Img Banner
profile
Sanjay Purohit
Created AT: 11 hours ago
78
0
...

भारतीय संस्कृति में विवाह केवल दो व्यक्तियों का ही नहीं, दो परिवारों का भी पवित्र बंधन माना जाता रहा है। यह सामाजिक, धार्मिक और नैतिक मूल्यों की नींव पर आधारित एक संस्था है। किंतु हाल के वर्षों में देखा जा रहा है कि भारत में अनेक युवा विवाह के प्रति उदासीन होते जा रहे हैं। वे या तो विवाह में देरी कर रहे हैं, विवाह से पूरी तरह दूर रह रहे हैं, या विवाह को एक ऐच्छिक संस्था मान रहे हैं। यह बदलाव न केवल परिवार के लिए, बल्कि समूचे समाज के लिए एक गहरी और गंभीर चुनौती बन रहा है।


युवाओं के विवाह से मोहभंग के प्रमुख कारण


1. आर्थिक अनिश्चितता और करियर प्राथमिकता


आज के युवा करियर को प्राथमिकता देते हैं। वे आर्थिक स्थायित्व की तलाश में विवाह को टालते हैं। उच्च शिक्षा, प्रतियोगी परीक्षाएं, विदेश जाने की योजनाएं – ये सब उन्हें विवाह से दूर रखती हैं।


2. स्वतंत्र जीवनशैली की चाह


आधुनिक युवा आत्मनिर्भर, स्वतंत्र और निजी स्पेस को प्राथमिकता देते हैं। उन्हें लगता है कि विवाह से उनकी स्वतंत्रता सीमित हो जाएगी, और वे जिम्मेदारियों के बंधन में बंध जाएंगे।


3. विवाह को लेकर बढ़ता अविश्वास


तलाक की बढ़ती घटनाएं, वैवाहिक हिंसा, और असफल रिश्तों की कहानियाँ विवाह संस्था पर भरोसे को कमजोर कर रही हैं। सोशल मीडिया और फिल्मों में दिखाए गए "परफेक्ट रिलेशनशिप्स" की तुलना में वास्तविक विवाह कठिन लगने लगता है।


4. वैकल्पिक संबंधों की बढ़ती स्वीकार्यता


Live-in relationships, single parenting और child-free marriage जैसे विकल्पों को अब समाज में धीरे-धीरे स्वीकृति मिलने लगी है। इससे युवाओं के लिए विवाह अब अपरिहार्य नहीं रहा।


परिवार और समाज पर प्रभाव


परिवार पर


पीढ़ियों के बीच दूरी बढ़ रही है। माता-पिता को अपने बच्चों के निर्णय समझना कठिन लग रहा है।


वृद्धावस्था में अकेलापन बढ़ रहा है। विवाह न करने वाले युवा अक्सर अकेले रहते हैं और उनका परिवार वृद्ध माता-पिता की देखभाल को लेकर चिंतित रहता है।


संयुक्त परिवार की अवधारणा कमजोर हो रही है, और पारिवारिक मूल्यों का क्षरण देखने को मिल रहा है।



समाज पर


जनसंख्या असंतुलन की संभावना: जैसे-जैसे विवाह और मातृत्व/पितृत्व में देरी हो रही है, जनसंख्या वृद्धि दर कम हो सकती है।


मानसिक स्वास्थ्य की समस्याएं: अकेलापन, डिप्रेशन, और चिंता विकारों की संख्या में वृद्धि हो रही है।


सामाजिक ढांचे में परिवर्तन: विवाह और परिवार जैसे पारंपरिक स्तंभों के कमजोर होने से सामाजिक संरचना भी असंतुलित हो सकती है।




क्या यह पूरी तरह नकारात्मक है?


इस प्रवृत्ति के कुछ सकारात्मक पहलू भी हैं


युवा अब विवाह को सोच-समझकर और स्वेच्छा से चुनते हैं, न कि सामाजिक दबाव में आकर।


जबरन विवाह, दहेज प्रथा, बाल विवाह जैसी कुप्रथाओं से मुक्ति मिली है।


महिलाएं अधिक आत्मनिर्भर हो रही हैं और विवाह को अपनी पसंद के अनुसार अपनाने लगी हैं।


समाधान और आगे की राह


1. विवाह को सह-भागिता और साझेदारी के रूप में प्रस्तुत करना, जहाँ दोनों साथी समान अधिकार और सम्मान रखते हों।

2. माता-पिता को युवा पीढ़ी की सोच को समझने का प्रयास करना चाहिए, और विवाह को दबाव नहीं, संवाद का विषय बनाना चाहिए।

3. शिक्षा प्रणाली में पारिवारिक मूल्यों और रिश्तों की संवेदनशीलता को स्थान देना ज़रूरी है।

4. समाज को विवाह संस्था में सुधार की ओर देखना होगा — जहाँ स्वतंत्रता और ज़िम्मेदारी का संतुलन बना रहे।


भारतीय समाज में युवाओं का विवाह से मोहभंग एक सामाजिक परिवर्तन का संकेत है, जिसे केवल नकारात्मक दृष्टि से देखना उचित नहीं होगा। यह बदलाव युवाओं की सोच, उनके आत्मनिर्भरता की भावना और स्वतंत्र निर्णय क्षमता का प्रतीक है। परंतु यदि यह प्रवृत्ति बिना संतुलन के आगे बढ़ी, तो परिवार और समाज के मूलभूत ढांचे पर असर डाल सकती है। ऐसे में आवश्यक है कि समाज संवाद, समझदारी और सह-अस्तित्व की भावना के साथ इस परिवर्तन को स्वीकार करे और उसे सकारात्मक दिशा दे।

ये भी पढ़ें
सीएम की घोषणा,कटंगी और पौड़ी बनेगी तहसील,लाड़ली बहना योजना सम्मेलन में शामिल हुए सीएम
...

Trending

See all →
payal trivedi
कल होगा 2025 का सबसे लंबा दिन - 13 घंटे का दिन, 11 घंटे की रात
आषाढ़ कृष्ण एकादशी अर्थात् शनिवार का दिन बेहद खास होगा - ज्योतिषीय, धार्मिक और खगोलीय दृष्टि से। ग्रहों के अधिपति सूर्यदेव उत्तरायण से दक्षिणायन मार्ग की ओर अग्रसर होंगे।
48 views • 4 hours ago
Sanjay Purohit
ससुर ने अपनी होने वाली बहू से भागकर किया निकाह, सदमे में पूरा परिवार
उत्तर प्रदेश के रामपुर जिले के बांसनगली गांव में एक हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है। यहां के शकील नामक व्यक्ति ने नाबालिग बेटे का रिश्ता तय करने के बाद उसी लड़की से खुद शादी कर ली, जिससे पूरे परिवार में हड़कंप मचा हुआ है।
68 views • 8 hours ago
Sanjay Purohit
भारतीय समाज में रत्नों का महत्व
भारतीय संस्कृति में रत्नों का अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान रहा है। प्राचीन काल से ही रत्नों को न केवल सौंदर्यवर्धक वस्तु के रूप में देखा गया है, बल्कि उन्हें आध्यात्मिक, चिकित्सीय और ज्योतिषीय दृष्टिकोण से भी बेहद प्रभावशाली माना गया है। विभिन्न धर्मग्रंथों, पुराणों और आयुर्वेदिक ग्रंथों में रत्नों की महत्ता का वर्णन मिलता है।
72 views • 9 hours ago
Sanjay Purohit
भारतीय समाज में युवाओं का विवाह से मोहभंग: परिवार और समाज के लिए एक गंभीर चुनौती
भारतीय संस्कृति में विवाह केवल दो व्यक्तियों का ही नहीं, दो परिवारों का भी पवित्र बंधन माना जाता रहा है। यह सामाजिक, धार्मिक और नैतिक मूल्यों की नींव पर आधारित एक संस्था है। किंतु हाल के वर्षों में देखा जा रहा है कि भारत में अनेक युवा विवाह के प्रति उदासीन होते जा रहे हैं। वे या तो विवाह में देरी कर रहे हैं, विवाह से पूरी तरह दूर रह रहे हैं, या विवाह को एक ऐच्छिक संस्था मान रहे हैं।
78 views • 11 hours ago
Durgesh Vishwakarma
सुनार ने मात्र 20 रुपए में दे दिया मंगलसूत्र
हाल ही में 93 साल का एक बुजुर्ग अपनी पत्नी के लिए मंगलसूत्र खरीदने एक ज्वेलरी की दुकान पर पहुंचा. पारंपरिक सफेद धोती-कुर्ता और टोपी पहने बुजुर्ग अपनी पत्नी का बड़े प्यार से हाथ थामकर ज्वेलरी की दुकान में दाखिल हुआ।
25 views • 13 hours ago
Sanjay Purohit
छतरपुर में युवतियों ने आपस में की शादी, परिवार से तोड़ दिया नाता
मध्यप्रदेश के छतरपुर जिले की नौगांव तहसील क्षेत्र में एक बार फिर समलैंगिक विवाह की घटना ने सामाजिक परंपराओं को चुनौती दी है। दो युवतियों ने गांव के मंदिर के पास तालाब किनारे विवाह रचा लिया, जिसकी जानकारी उनके परिजनों को भी नहीं थी। यह क्षेत्र में दूसरी ऐसी घटना है, जिसने समाज को दो खेमों में बांट दिया है।
58 views • 2025-06-18
Sanjay Purohit
महाकुंभ की वायरल गर्ल मोनालिसा का पहला गाना ‘सादगी’ रिलीज
महाकुंभ 2025 मेले की वायरल गर्ल मोनालिसा की जिंदगी में रातों-रात बड़ा बदलाव आया है। महाकुंभ में माला बेचने से लेकर लग्जरी लाइफ स्टाइल जीने तक, उन्होंने कमाल का बदलाव किया है। हाल ही में सिंगर उत्कर्ष सिंह के साथ उनका म्यूजिक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ है।
223 views • 2025-06-14
payal trivedi
केवाईसी के बिना नहीं मिलेगी पीएम किसान की 20वीं किस्त, यहां जानें e-KYC करने की आसान प्रोसेस
पीएम किसान सम्मान निधि योजना के तहत सरकार योग्य किसानों को हर साल 6000 रुपये देती है। यह राशि किसानों को हर चार महीने में एक बार मिलती है, यानी किसानों को हर किस्त में 2000 रुपये मिलते हैं।
142 views • 2025-06-13
payal trivedi
पुरी में Jagnnath Rath Yatra: कैसे पहुंचे और किन बातों का ध्यान रखें
श्री जगन्नाथ रथयात्रा, जिसे पुरी रथयात्रा के नाम से भी जाना जाता है, एक महत्वपूर्ण धार्मिक उत्सव है, जो हर साल ओडिशा के पुरी में आयोजित किया जाता है।
149 views • 2025-06-13
payal trivedi
Jagannath Ratha Yatra 2025: यहां जानें जगन्नाथ मंदिर के 'महाप्रसाद' से जुड़ी कुछ अनोखी बातें
जगन्नाथ पुरी में आषाढ़ महीने के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि से रथ यात्रा शुरू होती है, जो एक महत्वपूर्ण धार्मिक आयोजन है।
236 views • 2025-06-11
...

IND Editorial

See all →
Sanjay Purohit
भारतीय समाज में युवाओं का विवाह से मोहभंग: परिवार और समाज के लिए एक गंभीर चुनौती
भारतीय संस्कृति में विवाह केवल दो व्यक्तियों का ही नहीं, दो परिवारों का भी पवित्र बंधन माना जाता रहा है। यह सामाजिक, धार्मिक और नैतिक मूल्यों की नींव पर आधारित एक संस्था है। किंतु हाल के वर्षों में देखा जा रहा है कि भारत में अनेक युवा विवाह के प्रति उदासीन होते जा रहे हैं। वे या तो विवाह में देरी कर रहे हैं, विवाह से पूरी तरह दूर रह रहे हैं, या विवाह को एक ऐच्छिक संस्था मान रहे हैं।
78 views • 11 hours ago
Sanjay Purohit
योग—भारतीय विरासत का वैश्विक उत्सव
हर वर्ष 21 जून को जब सूरज की किरणें धरती पर सबसे लंबे समय तक चमकती हैं, तब दुनिया एक साथ मिलकर अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस मनाती है। यह न केवल शारीरिक स्वास्थ्य का, बल्कि मानसिक और आत्मिक संतुलन का भी उत्सव है — एक ऐसा उपहार जो भारत ने विश्व को दिया है।
45 views • 12 hours ago
Sanjay Purohit
नारीत्व और धरती का उत्सव
उड़ीसा की सांस्कृतिक धरती पर हर वर्ष रजो पर्व एक जीवंत परंपरा के रूप में मनाया जाता है। यह तीन दिवसीय उत्सव धरती मां की उर्वरता और नारीत्व के गौरव का उत्सव है। मासिक धर्म जैसे विषय को सामाजिक स्वीकार्यता और गरिमा के साथ प्रस्तुत करता यह पर्व, स्त्री और प्रकृति के गहरे संबंध को सांस्कृतिक उत्सव में बदल देता है।
44 views • 2025-06-14
Sanjay Purohit
आंतरिक शक्तियों के जागरण के लिए मौन साधना का महत्व
आध्यात्मिक परंपरा में मौन को एक महत्वपूर्ण साधना के रूप में माना गया है। यह न केवल बाहरी वाणी पर नियंत्रण रखता है, बल्कि मन की शांति और आंतरिक ऊर्जा को भी जागृत करता है। मौन का अभ्यास मनुष्य को अपने अंत:करण की शुद्धि, मानसिक संतुलन और आत्म-ज्ञान की ओर अग्रसर करता है।
131 views • 2025-05-12
Sanjay Purohit
अखंड सिंदूर पर आंच और भारतीय रणबाकुरो का प्रचंड प्रहार
उजड़े सिंदूर की पुकार के बाद सर्जिकल स्ट्राइक बनी हुंकार क्योंकि एक चुटकी सिंदूर, यह मात्र एक रंग नहीं, यह एक अहसास है, एक अटूट बंधन है जो दो आत्माओं को जन्म जन्मान्तरों के लिए बांध देता है। यह उस वादे की निशानी है जो एक पुरुष अपनी जीवनसंगिनी को देता है – हमेशा साथ निभाने का, हर सुख-दुख में उसका सहारा बनने का।
127 views • 2025-05-09
Sanjay Purohit
चाणक्य नीति के अनुसार पहलगाम हमले के आतंकियों को क्या सजा मिलनी चाहिए
पहलगाम हमले के बाद से भारत में आतंकियों के खिलाफ काफी गुस्सा है। हर किसी के मन में है कि आतंकियों के खिलाफ कठोर से कठोर कार्रवाई होनी चाहिए और उनके मददगारों का भी नाश होना चाहिए। आतंकियों को दुष्ट की श्रेणी में रखा जाता है।
174 views • 2025-04-25
Sanjay Purohit
ग्लेशियर संकट : खाद्य और जल सुरक्षा को गंभीर चुनौती
बढ़ते तापमान और जलवायु परिवर्तन ग्लेशियरों के विनाश का प्रमुख कारण बन रहे हैं। यह केवल बर्फ के पिघलने का संकट नहीं, बल्कि एक विनाशकारी सुनामी की तरह है जो पूरी दुनिया को प्रभावित कर सकती है। समुद्र का जलस्तर बढ़ रहा है, द्वीप और तटीय इलाके डूब रहे हैं, बाढ़ और सूखा बढ़ रहे हैं, और नदियां संकट में हैं।
126 views • 2025-04-20
Sanjay Purohit
धर्म रक्षार्थ गुरु गोविंद सिंह जी ने कैसे की खालसा पंथ की स्थापना ?
खालसा का अर्थ होता है शुद्ध या पवित्र. गुरु गोविंद सिंह जी ने देशभर से अपने मानने वालों को 30 मार्च 1699 को आनंदपुर साहिब बुलाया. बैसाखी के मौके पर गुरु ने कृपाण लहराकर कहा था कि धर्म और मानवता को बचाने के लिए मुझे पांच शीश चाहिए. कौन-कौन मुझे सहर्ष शीश प्रदान करेगा.
279 views • 2025-04-13
Sanjay Purohit
खुशियों और समृद्धि का पर्व- बैसाखी
बैसाखी का पर्व हर साल अप्रैल महीने में मनाया जाता है और यह खासतौर पर उत्तर भारत में अत्यधिक धूमधाम से मनाया जाता है। यह पर्व मुख्य रूप से कृषि से जुड़ा हुआ है और नई फसल की कटाई की खुशी में मनाया जाता है। साथ ही, बैसाखी का पर्व सिख समुदाय के लिए धार्मिक महत्व भी रखता है, क्योंकि इस दिन गुरु गोबिंद सिंह जी ने खालसा पंथ की स्थापना की थी।
321 views • 2025-04-13
Sanjay Purohit
इंसान के अंदर ही खुशी का झरना
खुशी एक ऐसा तत्व है जो अंतर्मन को जाग्रत करने से मिलती है। यह नि:शुल्क है लेकिन फिर भी प्रसन्नता प्राप्त करने के लिए ही दुनिया में लोग लाखों-करोड़ों खर्च करते हैं। उसके बाद भी प्रसन्नता की कोई गारंटी नहीं होती।
170 views • 2025-03-25
...