युवा पीढ़ी और सेक्स के प्रति टूटती वर्जनाएं – बदलती सोच के उजाले और अंधेरे
भारत जैसे पारंपरिक समाज में सेक्स को लेकर सदियों से मौन और वर्जनाओं की एक मोटी दीवार खड़ी रही है। लेकिन वर्तमान की युवा पीढ़ी इस दीवार को तोड़ती नजर आ रही है। वह अब इन विषयों पर न केवल सोच रही है, बल्कि खुलकर बोल भी रही है। शिक्षा, तकनीक, सोशल मीडिया और वैश्वीकरण के प्रभाव ने युवाओं की सोच को बदला है। वे अब सेक्स को अपराध या शर्म का विषय नहीं, बल्कि जैविक, भावनात्मक और व्यक्तिगत अधिकार के रूप में देखने लगे हैं।
Img Banner
profile
Sanjay Purohit
Created AT: 12 hours ago
110
0
...

भारत जैसे पारंपरिक समाज में सेक्स को लेकर सदियों से मौन और वर्जनाओं की एक मोटी दीवार खड़ी रही है। लेकिन वर्तमान की युवा पीढ़ी इस दीवार को तोड़ती नजर आ रही है। वह अब इन विषयों पर न केवल सोच रही है, बल्कि खुलकर बोल भी रही है। शिक्षा, तकनीक, सोशल मीडिया और वैश्वीकरण के प्रभाव ने युवाओं की सोच को बदला है। वे अब सेक्स को अपराध या शर्म का विषय नहीं, बल्कि जैविक, भावनात्मक और व्यक्तिगत अधिकार के रूप में देखने लगे हैं। यह बदलाव आवश्यक और समयोचित है, लेकिन इसके साथ कई नकारात्मक प्रभाव और खतरे भी जुड़े हुए हैं, जिन्हें अनदेखा नहीं किया जा सकता।

इस सामाजिक परिवर्तन के सकारात्मक पहलुओं में प्रमुख रूप से यौन शिक्षा, आत्मचेतना, स्त्री अधिकारों की स्वीकार्यता और LGBTQ+ समुदाय के प्रति सहिष्णुता जैसे पहलू शामिल हैं। युवा अब अपने शरीर और अधिकारों को लेकर अधिक सजग हो गए हैं। वे सहमति को संबंधों की मूल शर्त मानते हैं और रिश्तों में खुलापन तथा सम्मान को प्राथमिकता देते हैं। लेकिन इसी के साथ एक ऐसी मानसिकता भी पनप रही है, जो कभी-कभी यौन स्वतंत्रता को उच्छृंखलता या दिखावे का साधन बना देती है।

एक गंभीर नकारात्मक पक्ष यह है कि इंटरनेट और सोशल मीडिया पर सेक्स से जुड़ी सामग्री भरपूर मात्रा में मौजूद है, परंतु उसमें अधिकांश जानकारी अपूर्ण, भ्रामक या अत्यंत अवास्तविक होती है। पोर्नोग्राफी की सहज उपलब्धता ने युवाओं की यौन कल्पनाओं को इस हद तक प्रभावित किया है कि वे वास्तविक संबंधों में भी उन्हीं मानकों और प्रदर्शन की अपेक्षा करते हैं। इससे न केवल आत्म-संदेह और हीन भावना जन्म लेती है, बल्कि कई बार रिश्तों में असंतुलन, अविश्वास और मानसिक तनाव उत्पन्न हो जाता है।

इसके अलावा, इस नई सोच के साथ जो 'कूल दिखने' या ‘फ्री माइंडेड’ कहलाने की होड़ चल रही है, वह कई युवाओं को बिना मानसिक तैयारी या भावनात्मक समझ के यौन संबंधों की ओर धकेल रही है। कई बार यह केवल सामाजिक दबाव या फैशन का हिस्सा बन जाता है – जिससे व्यक्ति बाद में पछतावे, ग्लानि या भावनात्मक चोट का शिकार होता है। कुछ मामलों में युवतियों को अनजाने में शोषण और धोखे का भी सामना करना पड़ता है, क्योंकि यौन स्वतंत्रता का लाभ कभी-कभी पुरुष मानसिकता अपनी सुविधा के अनुसार उठाती है।

एक और चिंताजनक पहलू यह है कि रिश्तों में स्थायित्व और गहराई की भावना कमजोर होती जा रही है। जब संबंध केवल शारीरिक जरूरतों के आधार पर बनते और बिगड़ते हैं, तो उनमें मानसिक और आत्मिक जुड़ाव का स्थान नहीं बचता। ऐसे रिश्तों के टूटने पर युवाओं को अकेलापन, अवसाद और आत्म-संदेह जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। यह भावनात्मक अस्थिरता उनके अध्ययन, करियर और पारिवारिक जीवन को भी प्रभावित करती है।

साइबर अपराध और प्राइवेसी का उल्लंघन भी यौन स्वतंत्रता के इस युग में बड़ा खतरा बनकर उभरा है। निजी तस्वीरों या वीडियो का दुरुपयोग, सोशल मीडिया पर ब्लैकमेलिंग, और ‘रीवेंज पॉर्न’ जैसे अपराध तेजी से बढ़ रहे हैं। कई बार युवा अपनी नासमझी या भावनात्मकता में अपनी सीमाएं लांघ बैठते हैं, जिसका गंभीर परिणाम उन्हें लंबे समय तक भुगतना पड़ता है।

अंततः यह भी देखा गया है कि इस युग में यौन पहचान और इच्छा को लेकर इतनी अधिक जानकारी और विविधता है कि कई युवा अपनी पहचान को लेकर भ्रमित भी हो जाते हैं। आत्मनिरीक्षण और अनुभव के अभाव में वे या तो स्वयं को दूसरों से तुलना कर कुंठित होते हैं या फिर समाज के दबाव में कोई गलत राह चुन लेते हैं।

इसलिए यह आवश्यक है कि युवा पीढ़ी यौन स्वतंत्रता को केवल अधिकार नहीं, बल्कि जिम्मेदारी और आत्म-विकास के एक साधन के रूप में देखे। उन्हें यह समझना होगा कि संयम और विवेक ही किसी भी स्वतंत्रता को सार्थक बनाते हैं। समाज, परिवार और शिक्षा तंत्र को भी चाहिए कि वे सेक्स जैसे विषयों पर खुला, संवेदनशील और वैज्ञानिक संवाद स्थापित करें, जिससे यह क्रांति केवल बाह्य व्यवहार की नकल न बनकर, आंतरिक परिपक्वता की दिशा में अग्रसर हो।

यौन वर्जनाओं का टूटना निश्चित रूप से सामाजिक उन्नति की ओर संकेत करता है, लेकिन अगर यह बिना दिशा, संतुलन और समझ के हो, तो यह अंधेरे में भटकते हुए दीपक की तरह हो सकता है – जिसमें रोशनी तो है, लेकिन राह स्पष्ट नहीं। इसलिए आज के युवा को ज़रूरत है आत्म-जागरूकता, भावनात्मक बुद्धिमत्ता और संतुलन की, जिससे यह परिवर्तन समाज के लिए दीर्घकालीन रूप से लाभकारी सिद्ध हो सके।

ये भी पढ़ें
सीएम की घोषणा,कटंगी और पौड़ी बनेगी तहसील,लाड़ली बहना योजना सम्मेलन में शामिल हुए सीएम
...

Trending

See all →
Sanjay Purohit
युवा पीढ़ी और सेक्स के प्रति टूटती वर्जनाएं – बदलती सोच के उजाले और अंधेरे
भारत जैसे पारंपरिक समाज में सेक्स को लेकर सदियों से मौन और वर्जनाओं की एक मोटी दीवार खड़ी रही है। लेकिन वर्तमान की युवा पीढ़ी इस दीवार को तोड़ती नजर आ रही है। वह अब इन विषयों पर न केवल सोच रही है, बल्कि खुलकर बोल भी रही है। शिक्षा, तकनीक, सोशल मीडिया और वैश्वीकरण के प्रभाव ने युवाओं की सोच को बदला है। वे अब सेक्स को अपराध या शर्म का विषय नहीं, बल्कि जैविक, भावनात्मक और व्यक्तिगत अधिकार के रूप में देखने लगे हैं।
110 views • 12 hours ago
payal trivedi
Baba Vanga: कौन थीं बाबा वेंगा? जिनकी रहस्यमयी भविष्यवाणियां हो रही सच
इतिहास में कई ऐसे रहस्यमयी लोग हुए हैं जिन्होंने अपने असाधारण दावों और भविष्यवाणियों से पूरी दुनिया का ध्यान खींचा। इन्हीं में से एक नाम है बुल्गारिया की बाबा वेंगा का।
85 views • 13 hours ago
Sanjay Purohit
रिलायंस इंडस्ट्रीज के वाइस प्रेसिडेंट ने 75 करोड़ की सैलरी छोड़ अपनाया सन्यासी जीवन
रिलायंस इंडस्ट्रीज के चेयरमैन मुकेश अंबानी के करीबी सहयोगी प्रकाश शाह ने साधु जीवन अपना लिया है। सांसारिक जीवन से संन्यास लेने के लिए उन्होंने 75 करोड़ रुपये की सैलरी वाली नौकरी छोड़ दी। वे रिलायंस इंडस्ट्रीज में वाइस प्रेसिडेंट के पद पर थे। प्रकाश शाह को मुकेश अंबानी का राइट हैंड माना जाता था।
114 views • 15 hours ago
payal trivedi
कल होगा 2025 का सबसे लंबा दिन - 13 घंटे का दिन, 11 घंटे की रात
आषाढ़ कृष्ण एकादशी अर्थात् शनिवार का दिन बेहद खास होगा - ज्योतिषीय, धार्मिक और खगोलीय दृष्टि से। ग्रहों के अधिपति सूर्यदेव उत्तरायण से दक्षिणायन मार्ग की ओर अग्रसर होंगे।
150 views • 2025-06-20
Sanjay Purohit
ससुर ने अपनी होने वाली बहू से भागकर किया निकाह, सदमे में पूरा परिवार
उत्तर प्रदेश के रामपुर जिले के बांसनगली गांव में एक हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है। यहां के शकील नामक व्यक्ति ने नाबालिग बेटे का रिश्ता तय करने के बाद उसी लड़की से खुद शादी कर ली, जिससे पूरे परिवार में हड़कंप मचा हुआ है।
114 views • 2025-06-20
Sanjay Purohit
भारतीय समाज में रत्नों का महत्व
भारतीय संस्कृति में रत्नों का अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान रहा है। प्राचीन काल से ही रत्नों को न केवल सौंदर्यवर्धक वस्तु के रूप में देखा गया है, बल्कि उन्हें आध्यात्मिक, चिकित्सीय और ज्योतिषीय दृष्टिकोण से भी बेहद प्रभावशाली माना गया है। विभिन्न धर्मग्रंथों, पुराणों और आयुर्वेदिक ग्रंथों में रत्नों की महत्ता का वर्णन मिलता है।
105 views • 2025-06-20
Sanjay Purohit
भारतीय समाज में युवाओं का विवाह से मोहभंग: परिवार और समाज के लिए एक गंभीर चुनौती
भारतीय संस्कृति में विवाह केवल दो व्यक्तियों का ही नहीं, दो परिवारों का भी पवित्र बंधन माना जाता रहा है। यह सामाजिक, धार्मिक और नैतिक मूल्यों की नींव पर आधारित एक संस्था है। किंतु हाल के वर्षों में देखा जा रहा है कि भारत में अनेक युवा विवाह के प्रति उदासीन होते जा रहे हैं। वे या तो विवाह में देरी कर रहे हैं, विवाह से पूरी तरह दूर रह रहे हैं, या विवाह को एक ऐच्छिक संस्था मान रहे हैं।
122 views • 2025-06-20
Durgesh Vishwakarma
सुनार ने मात्र 20 रुपए में दे दिया मंगलसूत्र
हाल ही में 93 साल का एक बुजुर्ग अपनी पत्नी के लिए मंगलसूत्र खरीदने एक ज्वेलरी की दुकान पर पहुंचा. पारंपरिक सफेद धोती-कुर्ता और टोपी पहने बुजुर्ग अपनी पत्नी का बड़े प्यार से हाथ थामकर ज्वेलरी की दुकान में दाखिल हुआ।
56 views • 2025-06-20
Sanjay Purohit
छतरपुर में युवतियों ने आपस में की शादी, परिवार से तोड़ दिया नाता
मध्यप्रदेश के छतरपुर जिले की नौगांव तहसील क्षेत्र में एक बार फिर समलैंगिक विवाह की घटना ने सामाजिक परंपराओं को चुनौती दी है। दो युवतियों ने गांव के मंदिर के पास तालाब किनारे विवाह रचा लिया, जिसकी जानकारी उनके परिजनों को भी नहीं थी। यह क्षेत्र में दूसरी ऐसी घटना है, जिसने समाज को दो खेमों में बांट दिया है।
73 views • 2025-06-18
Sanjay Purohit
महाकुंभ की वायरल गर्ल मोनालिसा का पहला गाना ‘सादगी’ रिलीज
महाकुंभ 2025 मेले की वायरल गर्ल मोनालिसा की जिंदगी में रातों-रात बड़ा बदलाव आया है। महाकुंभ में माला बेचने से लेकर लग्जरी लाइफ स्टाइल जीने तक, उन्होंने कमाल का बदलाव किया है। हाल ही में सिंगर उत्कर्ष सिंह के साथ उनका म्यूजिक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ है।
236 views • 2025-06-14
...

IND Editorial

See all →
Sanjay Purohit
युवा पीढ़ी और सेक्स के प्रति टूटती वर्जनाएं – बदलती सोच के उजाले और अंधेरे
भारत जैसे पारंपरिक समाज में सेक्स को लेकर सदियों से मौन और वर्जनाओं की एक मोटी दीवार खड़ी रही है। लेकिन वर्तमान की युवा पीढ़ी इस दीवार को तोड़ती नजर आ रही है। वह अब इन विषयों पर न केवल सोच रही है, बल्कि खुलकर बोल भी रही है। शिक्षा, तकनीक, सोशल मीडिया और वैश्वीकरण के प्रभाव ने युवाओं की सोच को बदला है। वे अब सेक्स को अपराध या शर्म का विषय नहीं, बल्कि जैविक, भावनात्मक और व्यक्तिगत अधिकार के रूप में देखने लगे हैं।
110 views • 12 hours ago
Sanjay Purohit
वर्तमान समाज में योग की प्रासंगिकता
आज का समाज तकनीकी उन्नति और भौतिक प्रगति की दौड़ में निरंतर आगे बढ़ रहा है, लेकिन इस विकास की चमक के पीछे कई गहरी समस्याएँ छुपी हुई हैं — जैसे तनाव, अवसाद, असंतुलित जीवनशैली, सामाजिक अलगाव, और पर्यावरणीय असंतुलन। ऐसे समय में योग, जो कि भारत की हजारों वर्षों पुरानी आध्यात्मिक देन है, एक संतुलित, समग्र और शांतिपूर्ण जीवन जीने का मार्ग प्रदान करता है।
61 views • 2025-06-21
Sanjay Purohit
भारतीय समाज में युवाओं का विवाह से मोहभंग: परिवार और समाज के लिए एक गंभीर चुनौती
भारतीय संस्कृति में विवाह केवल दो व्यक्तियों का ही नहीं, दो परिवारों का भी पवित्र बंधन माना जाता रहा है। यह सामाजिक, धार्मिक और नैतिक मूल्यों की नींव पर आधारित एक संस्था है। किंतु हाल के वर्षों में देखा जा रहा है कि भारत में अनेक युवा विवाह के प्रति उदासीन होते जा रहे हैं। वे या तो विवाह में देरी कर रहे हैं, विवाह से पूरी तरह दूर रह रहे हैं, या विवाह को एक ऐच्छिक संस्था मान रहे हैं।
122 views • 2025-06-20
Sanjay Purohit
योग—भारतीय विरासत का वैश्विक उत्सव
हर वर्ष 21 जून को जब सूरज की किरणें धरती पर सबसे लंबे समय तक चमकती हैं, तब दुनिया एक साथ मिलकर अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस मनाती है। यह न केवल शारीरिक स्वास्थ्य का, बल्कि मानसिक और आत्मिक संतुलन का भी उत्सव है — एक ऐसा उपहार जो भारत ने विश्व को दिया है।
129 views • 2025-06-20
Sanjay Purohit
नारीत्व और धरती का उत्सव
उड़ीसा की सांस्कृतिक धरती पर हर वर्ष रजो पर्व एक जीवंत परंपरा के रूप में मनाया जाता है। यह तीन दिवसीय उत्सव धरती मां की उर्वरता और नारीत्व के गौरव का उत्सव है। मासिक धर्म जैसे विषय को सामाजिक स्वीकार्यता और गरिमा के साथ प्रस्तुत करता यह पर्व, स्त्री और प्रकृति के गहरे संबंध को सांस्कृतिक उत्सव में बदल देता है।
49 views • 2025-06-14
Sanjay Purohit
आंतरिक शक्तियों के जागरण के लिए मौन साधना का महत्व
आध्यात्मिक परंपरा में मौन को एक महत्वपूर्ण साधना के रूप में माना गया है। यह न केवल बाहरी वाणी पर नियंत्रण रखता है, बल्कि मन की शांति और आंतरिक ऊर्जा को भी जागृत करता है। मौन का अभ्यास मनुष्य को अपने अंत:करण की शुद्धि, मानसिक संतुलन और आत्म-ज्ञान की ओर अग्रसर करता है।
142 views • 2025-05-12
Sanjay Purohit
अखंड सिंदूर पर आंच और भारतीय रणबाकुरो का प्रचंड प्रहार
उजड़े सिंदूर की पुकार के बाद सर्जिकल स्ट्राइक बनी हुंकार क्योंकि एक चुटकी सिंदूर, यह मात्र एक रंग नहीं, यह एक अहसास है, एक अटूट बंधन है जो दो आत्माओं को जन्म जन्मान्तरों के लिए बांध देता है। यह उस वादे की निशानी है जो एक पुरुष अपनी जीवनसंगिनी को देता है – हमेशा साथ निभाने का, हर सुख-दुख में उसका सहारा बनने का।
130 views • 2025-05-09
Sanjay Purohit
चाणक्य नीति के अनुसार पहलगाम हमले के आतंकियों को क्या सजा मिलनी चाहिए
पहलगाम हमले के बाद से भारत में आतंकियों के खिलाफ काफी गुस्सा है। हर किसी के मन में है कि आतंकियों के खिलाफ कठोर से कठोर कार्रवाई होनी चाहिए और उनके मददगारों का भी नाश होना चाहिए। आतंकियों को दुष्ट की श्रेणी में रखा जाता है।
182 views • 2025-04-25
Sanjay Purohit
ग्लेशियर संकट : खाद्य और जल सुरक्षा को गंभीर चुनौती
बढ़ते तापमान और जलवायु परिवर्तन ग्लेशियरों के विनाश का प्रमुख कारण बन रहे हैं। यह केवल बर्फ के पिघलने का संकट नहीं, बल्कि एक विनाशकारी सुनामी की तरह है जो पूरी दुनिया को प्रभावित कर सकती है। समुद्र का जलस्तर बढ़ रहा है, द्वीप और तटीय इलाके डूब रहे हैं, बाढ़ और सूखा बढ़ रहे हैं, और नदियां संकट में हैं।
131 views • 2025-04-20
Sanjay Purohit
धर्म रक्षार्थ गुरु गोविंद सिंह जी ने कैसे की खालसा पंथ की स्थापना ?
खालसा का अर्थ होता है शुद्ध या पवित्र. गुरु गोविंद सिंह जी ने देशभर से अपने मानने वालों को 30 मार्च 1699 को आनंदपुर साहिब बुलाया. बैसाखी के मौके पर गुरु ने कृपाण लहराकर कहा था कि धर्म और मानवता को बचाने के लिए मुझे पांच शीश चाहिए. कौन-कौन मुझे सहर्ष शीश प्रदान करेगा.
290 views • 2025-04-13
...