Mahashivratri 2023: महाशिवरात्री का पर्व आज दुनियाभर में धुम-धाम से मनाया जा रहा है। बता दें कि हर साल यह पर्व फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाया जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन भगवान शिव और मां पार्वती का शुभ विवाह हुआ था। इसी कारण महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव की विधिवत पूजा करने के शुभ फलों की प्राप्ति होती है। इस साल महाशिवरात्रि पर काफी खास संयोग बन रहे हैं। आपको बताते है महाशिवरात्रि के चार प्रहर का शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और मंत्र।
ये है आज का शुभ मुहूर्त
पंचांग के अनुसार, फाल्गुन मास की चतुर्दशी तिथि 17 जनवरी को रात्रि 8 बजकर 2 मिनट से शुरू हो रही है, जो 18 फरवरी को शाम 4 बजकर 18 मिनट पर समाप्त होगी।
चार प्रहर में करें भगवान शिव की पूजा
महाशिवरात्रि 2023 पूजा के चार प्रहर ((Mahashivratri 2023 Char Prahar Muhurat)
शास्त्रों में बताया गया है कि महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव की पूजा चार प्रहर में की जाती है। इससे शुभ फलों की प्राप्ति होती है।
महाशिवरात्रि में निशीथ काल पूजा मुहूर्त- 18 फरवरी को रात 12 बजकर 16 मिनट से 1 बजकर 6 मिनट तक
रात्रि प्रथम प्रहर पूजा समय- 18 फरवरी शाम 06 बजकर 45 मिनट से रात्रि 09 बजकर 35 मिनट तक
रात्रि द्वितीय प्रहर पूजा समय- 18 फरवरी रात्रि 09 बजकर 35 मिनट से 19 फरवरी मध्यरात्रि 12 बजकर 24 मिनट तक
रात्रि तृतीय प्रहर पूजा समय- 19 फरवरी मध्यरात्रि 12 बजकर 24 मिनट से प्रातः 03 बजकर 14 मिनट तक
ऐसे करें पूजा
इस दिन सूर्योदय से समय उठकर सभी कामों से निवृत्त होकर स्नान कर लें। इसके बाद साफ वस्त्र धारण कर लें। लेकिन काले रंग के कपड़े पहनने से बचें।
अगर व्रत रख रहे हैं, तो शिव जी का मनन करते हुए व्रत का संकल्प लें।
मंदिर जाकर शिवलिंग में जलाभिषेक, दूधाभिषेक आदि करें।
शिवलिंग में बेलपत्र, धतूरा, फूल, बेर, जौ की बाली आदि चढ़ाएं।
इसके बाद भोग लगाएं और जल चढ़ाएं।
अंत में विधिवत आरती करने के साथ चालीसा, मंत्र, स्त्रोत और कथा का पाठ करें।
इसके साथ ही दिनभर व्रत रखें और सभी नियमों का पालन करें।
महाशिवरात्रि में प्रहर के हिसाब से पूजा विधि (Mahashivratri 2023 Char Prahar Puja Vidhi)
अगर आप प्रहर के हिसाब से शिव जी की पूजा करना चाहते हैं, तो शिवलिंग स्नान के लिए रात्रि के प्रथम प्रहर में दूध, दूसरे में दही, तीसरे में घृत और चौथे प्रहर में शहद से स्नान कराएं। इसके साथ ही स्नान कराते समय प्रहर के हिसाब से इन मंत्रों का जाप करें।
क्यों मनाते है महाशिवरात्री का पर्व (Mahashivratri 2023 Why we Celebrate )
फाल्गुन कृष्ण चतुर्दश्याम आदिदेवो महानिशि।
शिवलिंग तयोद्भूत: कोटि सूर्य समप्रभ:॥
ईशान संहिता में दिए इस श्लोक के अनुसार, फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी को महानिशीथकाल में भगवान शिव करोड़ों सूर्यों के समान प्रभाव वाले लिंग रूप में प्रकट हुए थे। इस कारण इस दिन शिवलिंग की पूजा करना शुभ माना जाता है।
वहीं दूसरी मान्यता के अनुसार, महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव और माता पार्वती का शुभ विवाह हुआ था।
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