अश्विन मास कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि पर रविवार तड़के बाबा महाकालेश्वर मंदिर में आयोजित भस्म आरती में श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ पड़ा। देर रात से ही हजारों भक्त लाइन में लगकर अपने इष्टदेव महाकाल के दर्शन के लिए इंतजार करते रहे। सुबह 4 बजे जैसे ही मंदिर के पट खुले, पूरा परिसर “जय श्री महाकाल” के जयघोष से गूंज उठा।
पुजारी पंडित महेश शर्मा ने बताया कि भस्म आरती की शुरुआत वीरभद्र जी से आज्ञा लेकर हुई। गर्भगृह में स्थापित सभी देवी-देवताओं की पूजा-अर्चना के बाद भगवान महाकाल का जलाभिषेक दूध, दही, घी, शक्कर, पंचामृत और फलों के रस से किया गया। इसके बाद श्रृंगार कर भगवान को रुद्राक्ष और फूलों की माला तथा नवीन मुकुट धारण कराया गया। महानिर्वाणी अखाड़े की ओर से बाबा महाकाल के शिवलिंग पर भस्म अर्पित की गई। आकर्षक श्रृंगार और दिव्य स्वरूप के दर्शन का लाभ लेने के लिए भारी संख्या में भक्त उपस्थित रहे।
जानें सर्वपितृ अमावस्या का महत्व
आज 21 सितंबर को सर्वपितृ अमावस्या (महालया अमावस्या) भी मनाई जा रही है। इसे पितृ पक्ष का अंतिम दिन माना जाता है और इसी दिन पितरों की विदाई होती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन श्राद्ध, तर्पण और पिंडदान का विशेष महत्व है। भूले-बिसरे पितरों के लिए भी श्रद्धापूर्वक कर्मकांड किए जाते हैं।
Comments (0)