चर्चित सिंधिया राजघराने में बुआओं (वसुंधरा राजे, यशोधरा राजे और उषा राजे) और भतीजे केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के बीच करीब 40000 करोड़ रुपए की संपत्ति के लिए पिछले डेढ़ दशक से चल रहे संपत्ति विवाद के समाधान की उम्मीद जगी है। ग्वालियर हाईकोर्ट की एकल पीठ ने ज्योतिरादित्य और उनकी तीनों बुआओं को आपसी सहमति से विवाद सुलझाने का आदेश दिया है। अदालत ने इसके लिए 90 दिन का समय दिया है।
2010 से लंबित केस
2010 में उषा राजे, वसुंधरा राजे और यशोधरा राजे ने भतीजे ज्योतिरादित्य सिंधिया के खिलाफ वाद पत्र दायर किया था। उनका कहना था कि पिता की संपत्ति में बेटियों का भी बराबर का अधिकार है। इस पर ज्योतिरादित्य ने भी दावा पेश किया था। दोनों मामले जिला कोर्ट में लंबित रहे। बाद में पुराने मामले के त्वरित निराकरण के निर्देश के चलते मामला हाईकोर्ट पहुंचा और 2017 से सिविल रिवीजन लंबित थी।
तो याचिका फिर बहाल होगी
दरअसल 2010 से बुआ-भतीजे में चल रहे अदालती विवाद में हुई सुनवाई में तीनों बुआओं के अधिवक्ताओं ने सहमति से विवाद खत्म करने की अर्जी लगाई और सिविल रिवीजन वापस ले ली। हाईकोर्ट ने कहा कि दोनों पक्षों को समझौते के लिए पर्याप्त समय व कानूनी सुविधा दी है। दोनों पक्षों को तीन माह यानी 90 दिनों में समझौते की औपचारिक कार्यवाही पूरी करनी होगी। तय समय में समझौता नहीं हुआ तो याचिका फिर से बहाल कर दी जाएगी।
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