हाल के वर्षों में जलवायु परिवर्तन से उत्पन्न आपात स्थितियों ने दुनिया भर में कई तरह की चुनौतियों को जन्म दिया है। वैज्ञानिक और नीति-निर्माता लगातार चेतावनी दे रहे हैं कि अगर जलवायु परिवर्तन को गंभीरता से नहीं लिया गया, तो यह भविष्य में सबसे बड़ा सुरक्षा संकट बन सकता है। ब्रिटेन की एक नई रिपोर्ट ने इस मुद्दे पर गहराई से प्रकाश डाला है, जिसमें कोविड-19 महामारी से सीखे गए सबक और जलवायु परिवर्तन के खतरों के बीच समानताएं सामने आई हैं। महामारी से मिले सबक ब्रिटेन में कोविड-19 महामारी एक "गैर-दुर्भावनापूर्ण खतरे" के रूप में देखी गई, यानी यह न तो आतंकवाद का परिणाम थी और न ही युद्ध जैसी स्थिति से उत्पन्न हुई थी। बल्कि यह मानवीय भूल या प्राकृतिक आपदाओं के कारण आई एक आपात स्थिति थी।
महामारी के कारण स्वास्थ्य सेवाओं, आर्थिक स्थिरता, और सामाजिक संरचनाओं पर बड़ा असर पड़ा। द्वितीय विश्व युद्ध के बाद यह ब्रिटेन का सबसे बड़ा संकट था, और इसके बावजूद, सरकारें इस तरह के खतरे को गंभीरता से नहीं ले रही थीं। जलवायु परिवर्तन- अगला बड़ा खतरा रिपोर्ट में स्पष्ट किया गया है कि जलवायु परिवर्तन भी एक "गैर-दुर्भावनापूर्ण खतरे" की श्रेणी में आता है, लेकिन सरकारें इसे अपनी सुरक्षा योजनाओं में प्राथमिकता नहीं दे रही हैं। जलवायु परिवर्तन के कारण तेजी से बढ़ते जोखिमों का सामना अब दुनिया को करना पड़ रहा है। हाल ही में फ्लोरिडा में आए तूफान हेलेन और मिल्टन इसका जीता-जागता उदाहरण हैं। इन तूफानों से सैकड़ों लोग मारे गए और अरबों डॉलर का नुकसान हुआ। चरम जलवायु घटनाएं और टिपिंग प्वॉइंट जलवायु परिवर्तन से उत्पन्न चरम घटनाएं, जैसे कि विनाशकारी तूफान, सूखा, और फसलें खराब होना, भविष्य में और बढ़ सकते हैं।
हाल के वर्षों में जलवायु परिवर्तन से उत्पन्न आपात स्थितियों ने दुनिया भर में कई तरह की चुनौतियों को जन्म दिया है।
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