मुंबई, 11 जुलाई 2025। महाराष्ट्र में गणपति बाप्पा के भक्तों के लिए एक ऐतिहासिक घोषणा हुई है। राज्य सरकार ने गणपति उत्सव को ‘राज्य उत्सव’ का दर्जा देने का निर्णय लिया है। इसका मतलब है कि अब इस भव्य सार्वजनिक पर्व के आयोजन में लगने वाले मुख्य खर्च का वहन राज्य सरकार करेगी। मुख्यमंत्री ने इस फैसले की जानकारी देते हुए कहा कि गणेशोत्सव केवल धार्मिक आस्था का पर्व नहीं, बल्कि महाराष्ट्र की सामाजिक, सांस्कृतिक और ऐतिहासिक परंपरा से गहराई से जुड़ा हुआ उत्सव है। लोकमान्य तिलक ने जिस उद्देश्य से इसे सार्वजनिक रूप में मनाने की परंपरा शुरू की थी, आज उस परंपरा को और सशक्त बनाने का कार्य राज्य सरकार कर रही है।
राज्य सरकार अब सार्वजनिक गणपति मंडलों को आर्थिक सहायता देगी, जिसमें मूर्तियों, पंडालों की सजावट, सांस्कृतिक कार्यक्रमों और सामाजिक गतिविधियों में सहयोग शामिल होगा। साथ ही सुरक्षा, स्वच्छता और यातायात प्रबंधन पर विशेष ध्यान दिया जाएगा। सरकार ने यह भी स्पष्ट किया है कि पर्यावरण संतुलन बनाए रखने के लिए इको-फ्रेंडली मूर्तियों को बढ़ावा देने हेतु विशेष सब्सिडी भी दी जाएगी।
राज्य के सभी प्रमुख राजनीतिक दलों ने इस फैसले का स्वागत किया है। शिवसेना, कांग्रेस और बीजेपी सहित सभी दलों ने इसे महाराष्ट्र की परंपरा, संस्कृति और सामाजिक एकता को मजबूती देने वाला कदम बताया है। वहीं, मुंबई, पुणे, नागपुर, औरंगाबाद सहित विभिन्न शहरों के गणपति मंडलों में भी इस निर्णय को लेकर उत्साह और हर्ष का माहौल है। मंडल प्रमुखों का कहना है कि इससे अब आयोजन अधिक सुव्यवस्थित, भव्य और सुरक्षित हो सकेगा।
गौरतलब है कि गणेशोत्सव को सार्वजनिक स्वरूप 1893 में लोकमान्य तिलक ने दिया था, ताकि समाज में एकता और जागरूकता लाई जा सके। तब से लेकर अब तक यह उत्सव महाराष्ट्र की पहचान बन चुका है। ऐसे में राज्य सरकार द्वारा इसे आधिकारिक रूप से ‘राज्य उत्सव’ का दर्जा देना एक ऐतिहासिक निर्णय माना जा रहा है।
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