2026 में प्रस्तावित केरल विधानसभा चुनाव की तैयारी अभी से जोर पकड़ रही है। सत्तारूढ़ लेफ्ट डेमोक्रेटिक फ्रंट (LDF) और विपक्षी यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (UDF) आमने-सामने हैं, जबकि BJP का बढ़ता वोट शेयर इस बार कितना असरदार होगा, यह देखना है। ऐसेमें शशि थरूर का रुख कांग्रेस के लिए चिंता का कारण बनता जा रहा है। अगर थरूर कांग्रेस छोड़ते हैं, तो इसका असर कितना होगा, यह देखने की बात है।
थरूर के पार्टी छोड़ने का सीमित असर
केरल के त्रिवेंद्रम से वरिष्ठ पत्रकार टीजे श्रीलाल के मुताबिक, चार बार के सांसद, लोकप्रिय बुद्धिजीवी और वैश्विक छवि के नेता डॉ. शशि थरूर लंबे समय से कांग्रेस के भीतर 'दूसरी लाइन' के नेतृत्व में माने जाते रहे हैं। थरूर बड़े नेता हैं, लेकिन विधानसभा चुनावों में केरल में उनका असर सीमित ही है।
उन्होंने कहा कि हाल के नीलांबुर उपचुनाव में थरूर के कैंपेन न करने के बावजूद कांग्रेस ने लेफ्ट के उम्मीदवार को हरा दिया। उन्होंने कहा कि केरल कांग्रेस के नेता शशि थरूर पर खुलकर अटैक नहीं कर रहे हैं, क्योंकि वे उन्हें लोगों की सिम्पैथी नहीं मिलने देना चाहते। वे ऐसा दिखाना चाहते हैं कि थरूर खुद बीजेपी की तरफ जा रहे हैं, न कि पार्टी उन्हें नजरंदाज कर रही है।
LDF VS UDF कौन कहां खड़ा है?
LDF की अगुआई में मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने अब तक के कार्यकाल में विकास और स्थिरता का नैरेटिव बनाए रखा है। हालांकि, महगाई, बेरोजगारी और महिला सुरक्षा जैसे मुद्दे विपक्ष को हथियार दे रहे है। यूडीएफ, खासकर कांग्रेस, फिलहाल अंदरूनी खींचतान और नेतृत्व संकट से जूझ रही है। शशि थरूर जैसे नेता की नाराजगी कार्यकर्ताओं में भी असमंजस पैदा करती है।
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