सावन का महीना शुरू होने के साथ कांवड़ यात्रा की शुरुआत भी हो जाती है। सावन के महीने को भोलेनाथ का महीना कहा जाता है। इस माह में भोलेनाथ अपने भक्तों पर अपनी कृपा दृष्टि रखते हैं और उनकी हर मनोकामना को पूर्ण करते हैं। सावन शुरू होते ही कांवड़िए भारी कांवड़ को उठाकर गंगाजल भरने के चल देते हैं। कांवड़ यात्रा सावन माह की पहचान है। साल 2025 में कांवड़ यात्रा की शुरुआत आज यानि 11 जुलाई, शुक्रवार से हो रही है। यह यात्रा सावन माह की प्रतिपदा तिथि से आरंभ होती है और सावन माह की शिवरात्रि तिथि तक चलती है।
कांवड़ यात्रा 11 जुलाई से शुरू होकर 23 जुलाई, बुधवार तक चलेगी। 23 जुलाई, 2025 को सावन शिवरात्रि के दिन कांवड़ यात्रा समाप्त हो जाएगी। सावन शिवरात्रि का दिन सावन माह में बहुत महत्वपूर्ण होता है। इस दिन कांवड़ का जल शिवलिंग पर चढ़ाया जाता है। भक्त कांवड़ का जल स्थानीय शिव मंदिरों में चढ़ाते और जलाभिषेक करते हैं।
कांवड़ यात्रा का महत्व
हिंदू धर्म में कांवड़ यात्रा का विशेष महत्व है। कांवड़ यात्रा करने से भोलेनाथ अति शीघ्र प्रसन्न होते हैं। इस यात्रा का मुख्य महत्व है भोलेनाथ के प्रति अपनी भक्ति व्यक्त करना। कांवड़ यात्रा करने से भक्त को रोग, भय, शोक से मुक्ति मिलती है। कांवड़ के दौरान गंगा जल शिवलिंग पर अर्पित करना बहुत पुण्यकारी माना जाता है। सावन माह भगवान शिव को अति प्रिय है। इसीलिए इस माह में भक्त शिवजी को हर प्रकार से प्रसन्न करने की कोशिश करते हैं। कांवड़ यात्रा के लिए जाते हुए भक्त ‘बम बोले’ ‘हर हर महादेव’ के नारे लगाते हैं और भगवान शिव की भक्ति में लीन होकर कांवड़ में गंगा जल लाने के लिए निकल पड़ते हैं।
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