उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के देर रात को दिए इस्तीफे से हर कोई हैरान है। कोई उनके फैसले को निजी बता रहा है तो कोई सरकार के दबाव की बात कर रहा है। हालांकि हकीकत किसी को नहीं पता। इस बीच विपक्ष के कई सांसदों ने इस पर अपनी प्रतिक्रिया दी है। राजस्थान से कांग्रेस सांसद नीरज डांगी ने कहा कि वे पूरे दिन हमारे साथ थे। धनखड़ साहब ने अपने इस्तीफे के पीछे की वजह स्वास्थ्य कारण बताए हैं। उन्होंने कहा कि मुझे लगता है जहां तक स्वास्थ्य का सवाल है, पिछले सत्र के दौरान उन्हें हृदय की समस्या थी लेकिन उन्होंने तीसरे और चौथे दिन फिर से काम करना शुरू कर दिया था। ऐसे में अचानक स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं आना सवाल खड़े करता है।
मुझे समझ नहीं आ रहा है- इमरान मसूद
कांग्रेस सांसद ने कहा कि उन्होंने सरकार के दबाव में इस्तीफा दिया है। ऐसा लगता है कि सरकार ने उन पर फैसला थोपा है। यह लोकतांत्रिक मूल्यों के लिहाज से ठीक नहीं है। एक अन्य कांग्रेस सांसद किरण कुमार ने भी उनके फैसले पर हैरानी जताई। उन्होंने कहा कि सुबह वे रचनात्मक होकर काम करने की बात कह रहे थे, अचानक ऐसा क्या हुआ कि उन्हें इस्तीफा देना पड़ गया। सहारनपुर से कांग्रेस के लोकसभा सांसद इमरान मसूद ने कहा कि वे पूरे दिन संसद भवन में रहे। एक घंटे में ऐसा क्या हो गया कि उन्हें इस्तीफा देना पड़ा? हम ईश्वर से उन्हें लंबे और स्वस्थ जीवन की कामना करते हैं लेकिन मुझे कुछ भी समझ नहीं आ रहा है।
जयराम रमेश ने जताई हैरानी
राज्यसभा में कांग्रेस के वरिष्ठ सांसद जयराम रमेश ने भी उनके इस्तीफे पर एक पोस्ट की है। उन्होंने लिखा कि मैं आज शाम को 5 बजे तक कई अन्य सांसदों के साथ था। शाम 7:30 बजे उनसे फोन पर बातचीत हुई। लेकिन उनका इस्तीफा समझ से परे हैं। श्री धनखड़ ने सरकार और विपक्ष को आड़े हाथों लिया। उन्हें कल न्यायपालिका से जुड़ी कुछ बड़ी घोषणाएं भी करनी थीं। हम उनसे फैसले पर पुनर्विचार करने का अनुरोध करते हैं। हमें उम्मीद है कि पीएम धनखड़ साहब को अपना मन बदलने के लिए राजी करेंगे। यह देश और किसान समुदाय के हित में होगा।
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