


मध्य प्रदेश के दतिया जिले के भांडेर कस्बे मेंगंगा-जमुनी तहजीब की एक अनूठी मिसाल देखने को मिली। यहां मुस्लिम समुदाय द्वारा निकाले गए ताजिए कर्बला जाने से पहले भगवान कृष्ण को 'सलामी' देते हैं। यह कोई दुर्लभ अवसर नहीं है, बल्कि कस्बे में सदियों से चली आ रही परंपरा है।
क्या है यह परंपरा
लगभग 200 साल पुराने चतुर्भुज कृष्ण मंदिर का निर्माण भांडेर कस्बे में एक मुस्लिम परिवार ने करवाया था। तभी से, ताजियों का आगे बढ़ने से पहले चतुर्भुज महाराज को 'सलामी' देने के लिए मंदिर के सामने रुकना एक परंपरा बन गई है।
मंदिर के पुजारी देते हैं आशीर्वाद
भांडेर कर्बला कमेटी के प्रमुख अब्दुल जब्बार ने बताया, इस साल हमारे पास 37 ताजिये थे और अंतिम दिन, हमारा रूट पहले चतुर्भुज महाराज मंदिर और फिर कर्बला से होकर गुजरता है। ताजिये आगे बढ़ने से पहले 'सलामी' देते हैं। मंदिर के पुजारी बाहर आते हैं और ताजियों को आशीर्वाद देते हैं।
मंदिर की रक्षा के लिए भी आगे रहा मुसलमान
पुजारी बताते हैं कि मंदिर का निर्माण न केवल एक मुस्लिम परिवार ने किया था, बल्कि मुसलमानों द्वारा इसकी रक्षा भी की गई थी। मुझे दशकों पहले याद है कि सांप्रदायिक तनाव था। उस समय, पुलिस यहां आई लेकिन स्थानीय मुसलमान आगे आए और प्रशासन को आश्वासन दिया कि वे मंदिर की रक्षा करेंगे और किसी पुलिस या बल की आवश्यकता नहीं है।