मुख्य आर्थिक सलाहकार (CEA) वी. अनंत नागेश्वरन ने कहा कि उच्च शिक्षा की गुणवत्ता और प्रासंगिकता क्षमता अगले 20 वर्षों में भारत के जनसंख्या संबंधी लाभांश को वृद्धि का इंजन बनाने में निर्णायक भूमिका निभाएगी। नागेश्वरन ने उद्योग मंडल 'सीआईआई' की तरफ से उच्च शिक्षा पर आयोजित एक सम्मेलन में कहा कि भारत में उच्च शिक्षा सुधार के अगले चरण की कुंजी राज्यों के पास है। उन्होंने शिक्षकों की कमी को तत्काल दूर करने की जरूरत पर जोर देते हुए उद्योग एवं व्यावहारिक अनुभव रखने वाले विशेषज्ञ शिक्षकों की नियुक्ति जैसे विकल्पों को अपनाने का सुझाव भी दिया।
नागेश्वरन ने कहा कि राज्यों के लिए अन्य प्रमुख प्राथमिकताओं में प्रशासनिक नियंत्रण से आगे बढ़कर संरक्षण एवं मार्गदर्शन की भूमिका निभाना, इनपुट आधारित नियमन से हटकर परिणाम एवं गुणवत्ता पर आधारित नियमन, सार्वजनिक प्रशासन में उद्यमशील दृष्टिकोण अपनाना और संस्थानों को उनकी भूमिका एवं प्रदर्शन के आधार पर वित्तपोषण शामिल है। सीईए ने कहा, “भारत इस समय जनसांख्यिकीय और आर्थिक मुहाने पर खड़ा है। अगले दो दशकों में लाखों युवा कामकाजी उम्र में प्रवेश करेंगे। जनसंख्या का यह लाभांश आर्थिक वृद्धि को रफ्तार देगा या सामाजिक दबाव का कारण बनेगा, यह काफी हद तक हमारी उच्च शिक्षा प्रणाली की गुणवत्ता और प्रासंगिकता पर निर्भर करेगा।”
मुख्य आर्थिक सलाहकार ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति ने सुधारों के लिए रास्ता खोला है और नियामकीय सोच में बदलाव आ रहा है लेकिन अब जरूरत प्रभावी क्रियान्वयन, संस्थागत साहस और सहकारी संघवाद की है। उन्होंने पाठ्यक्रम निर्माण, शोध और शासन में उद्योग की गहरी भागीदारी का भी आह्वान किया।