


टनकपुर । छह वर्षों के लंबे इंतजार के बाद बहुप्रतीक्षित कैलाश मानसरोवर यात्रा एक बार फिर आध्यात्मिकता की राह पर अग्रसर हुई है। यात्रा के प्रथम दल का आगमन चंपावत जनपद के टनकपुर में हुआ, जहां ढोल-दमाऊं की गूंज, "बम-बम भोले" के जयघोष और पारंपरिक छोलिया नृत्य के साथ श्रद्धालु यात्रियों का भव्य स्वागत किया गया।
पर्यटन आवास गृह टनकपुर का परिसर लोकसंस्कृति और आध्यात्मिक भावनाओं से सराबोर हो उठा। पारंपरिक परिधानों में सजी बालिकाओं ने तिलक, आरती और पुष्पवर्षा के माध्यम से यात्रियों का स्वागत किया, वहीं छोलिया नृत्य दल की मनमोहक प्रस्तुति ने पूरे वातावरण को अलौकिक बना दिया।
पहले दल में कुल 45 यात्री शामिल हैं, जिनमें 32 पुरुष और 13 महिलाएं हैं। ये श्रद्धालु देश के विभिन्न राज्यों से पहुंचे हैं
टनकपुर पहुंचने पर श्रद्धालुओं ने यात्रा के इस पुनरारंभ को "अद्भुत आध्यात्मिक अनुभव" बताया और कहा कि यह क्षण उनके जीवन का अविस्मरणीय पल है। उन्होंने स्थानीय प्रशासन, टनकपुरवासियों और उत्तराखंड सरकार के आत्मीय स्वागत के लिए विशेष आभार व्यक्त किया।
यात्रियों ने मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी द्वारा यात्रा मार्ग में की जा रही व्यवस्थाओं और आतिथ्य के लिए हृदयपूर्वक धन्यवाद ज्ञापित किया।
गौरतलब है कि कोविड-19 महामारी के चलते वर्ष 2019 से कैलाश मानसरोवर यात्रा स्थगित कर दी गई थी। इस वर्ष पुनः यात्रा का आरंभ होना न केवल श्रद्धालुओं के लिए, बल्कि भारत की आध्यात्मिक परंपरा के लिए भी एक विशेष उपलब्धि है।