


उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्रों में सड़कों की दयनीय स्थिति कोई नई बात नहीं, लेकिन चंपावत जिले के लोहाघाट ब्लॉक स्थित सीमांत रोसाल सड़क का हाल देखकर यह साफ झलकता है कि लोक निर्माण विभाग को जन-सुरक्षा और मूलभूत ढांचे की कोई चिंता नहीं है। इस सड़क की हालत इतनी खराब हो चुकी है कि यह आमजन के लिए जोखिम का पर्याय बन चुकी है।
बरसात में बन जाते हैं ‘मौत के गड्ढे’
रोसाल मार्ग पर जगह-जगह विशालकाय गड्ढे बन गए हैं, खासकर दिगालीचौड़ से रोसाल तक का हिस्सा सबसे अधिक प्रभावित है। बरसात के दौरान ये गड्ढे पानी से भर जाते हैं, जिससे वाहन चालकों को इनका अंदाजा तक नहीं लग पाता। परिणामस्वरूप, कई दोपहिया वाहन चालक फिसल कर घायल हो चुके हैं। यह दृश्य न सिर्फ विभागीय लापरवाही को उजागर करता है, बल्कि भविष्य में किसी बड़ी दुर्घटना की आशंका भी बढ़ा रहा है।
स्थानीय जनता में आक्रोश
क्षेत्र के सामाजिक कार्यकर्ता व किसान नेता मोहन चंद्र पांडे ने सड़क की बदहाल स्थिति को लेकर विभाग पर गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने कहा कि विभाग कभी-कभार पैचवर्क जरूर करता है, लेकिन उसकी गुणवत्ता इतनी कमजोर होती है कि कुछ ही दिनों में सड़क फिर से पहले जैसी हो जाती है। यह केवल सरकारी धन का दुरुपयोग है और जनता की आंखों में धूल झोंकने जैसा है।
जनसुविधा नहीं, विभागीय उदासीनता प्रमुख
सड़क के गड्ढों से गुजरना अब यात्रियों और वाहन चालकों के लिए रोज का संघर्ष बन चुका है। हर मोड़ पर दुर्घटना की आशंका बनी रहती है, फिर भी विभाग आंखें मूंदे बैठा है। क्षेत्रीय जनता बार-बार शिकायतों के बाद भी जब कोई ठोस कार्यवाही नहीं देखती, तो यह विभागीय उदासीनता का ही प्रमाण है।