हेमांशा मेहता
इस साल पितृ पक्ष 10 सितंबर दिन शनिवार से प्रारंभ हो रहे हैं। पितृ पक्ष में पितरों की आत्म तृप्ति के लिए जो भी कर्म श्रद्धा से किया जाता है, वो श्राद् कहलाता है। श्राद् का तात्पर्य श्रद्धा से है। इस साल पितरों के श्राद् कर्म 10 सितंबर से 25 सितंबर तक चलेंगे। श्राद् पितरों की तिथियों के अनुसार किया जाता है।
श्राद्ध क्या होता है ?
स्थान और परिस्थिति के अनुसार जौ, काला तिल, कुश आदि से मंत्रोच्चार के साथ जो भी कर्म श्रद्धा से करते हैं, श्राद् कहलाता है। श्राद् से पितृ प्रसन्न होते हैं तो वे अपने वंश को सुख, समृद्धि, संतान सुख आदि का आशीर्वाद देते हैं।
तर्पण की विधि क्या है ?
पितृ पक्ष के दौरान हर दिन पितरों के लिए तर्पण करना चाहिए। तर्पण के समय सबसे पहले देवों के लिए तर्पण करते हैं। तर्पण के लिए आपको कुश, अक्षत्, जौ और काला तिल का उपयोग करना चाहिए। तर्पण करने के बाद पितरों से प्रार्थना करनी चाहिए, ताकि वे संतुष्ट हों और आपको आशीर्वाद दें। इसके लिए आप ये विधि अपनाएं-
1. देवताओं के लिए आप पूर्व दिशा में मुख कर कुश लेकर अक्षत् से तर्पण करें।
2. इसके बाद जौ और कुश लेकर ऋषियों के लिए तर्पण करें।
3. फिर उत्तर दिशा में अपना मुख कर लें, जौ और कुश से मानव तर्पण करें।
4. सबसे अंत में दक्षिण दिशा की ओर मुख कर काले तिल व कुश से पितरों का तर्पण करें।
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वचनों से पितरों को तृप्त करें
शास्त्रों में बताया गया है कि आपके पास श्राद् कर्म करने के लिए धन नहीं है तो आप अपने पितरों को अपने वचनों से भी तृप्त कर सकते हैं। इसके लिए आप पितरों से प्रार्थना करें और कहें कि हे पितृगण! आपके पास अपने सभी पितरों के लिए श्रद्धा है, इसलिए आप अपने श्रद्धापूर्ण वचनों से आप सभी को तृप्त कर रहे हैं, आप सभी इससे तृप्त हों और यह प्रार्थना स्वीकार करें
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