


आज भारतीय सिनेमा के ‘ट्रेजडी किंग’ दिलीप कुमार की पुण्यतिथि है। चार साल पहले 7 जुलाई 2021 को जब उन्होंने इस संसार से विदा ली थी, तो न केवल फिल्म जगत, बल्कि देश भर के करोड़ों दिलों में एक खालीपन भर गया था। आज, उनकी पुण्यतिथि पर पूरा राष्ट्र, खासकर फ़िल्मी दुनिया, उन्हें याद कर रही है—श्रद्धा, सम्मान और अपार प्रेम के साथ।
एक युग का अंत नहीं, एक युग की अमरता
दिलीप कुमार केवल एक अभिनेता नहीं थे—वे एक संस्था, एक स्कूल ऑफ़ एक्टिंग, एक संवेदनशील इंसान थे। उनका जन्म 11 दिसंबर 1922 को पेशावर (अब पाकिस्तान में) हुआ था और उन्होंने 1944 में फिल्म 'ज्वार भाटा' से बॉलीवुड में प्रवेश किया। लेकिन जल्द ही उन्होंने अभिनय को एक नई गहराई दी, जिसे बाद में “मेथड एक्टिंग” कहा गया।
‘मुग़ल-ए-आज़म, देवदास, गंगा-जमुना, नया दौर, राम और श्याम’ जैसी फिल्मों ने उन्हें एक जीवित किंवदंती बना दिया।
सायरा बानू की भावुक श्रद्धांजलि
आज दिलीप साहब की पत्नी और जीवन संगिनी सायरा बानू ने एक बेहद भावनात्मक पोस्ट साझा की। उन्होंने लिखा-
"Sahib could never go... I am still with him—one in thought, in mind, in life."
सायरा जी के लिए ‘साहिब’ केवल एक पति नहीं, उनका जीवन-संसार थे। उन्होंने बताया कि किस तरह छह दशकों तक दिलीप कुमार ने न केवल अभिनय से, बल्कि मानवीय मूल्यों से भी कई पीढ़ियों को दिशा दी।
बॉलीवुड ने झुक कर दी श्रद्धांजलि
धर्मेंद्र, जो दिलीप कुमार को अपना मार्गदर्शक मानते हैं, ने लिखा कि दिलीप साहब के बिना सिनेमा की कल्पना ही अधूरी है।
अमिताभ बच्चन, शाहरुख खान, आमिर खान, और अनेक फिल्मी हस्तियों ने सोशल मीडिया पर उन्हें याद करते हुए कहा कि उनके अभिनय से उन्हें अभिनय नहीं—जीवन जीने की प्रेरणा मिली।
एक ऐसे सितारे की याद, जो आज भी रोशन है
दिलीप कुमार को 8 बार फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का पुरस्कार मिला। वह पहले अभिनेता थे जिन्होंने राष्ट्रीय पहचान को सिनेमा के माध्यम से गहराई दी। उनके द्वारा निभाए गए किरदार केवल किरदार नहीं थे—वे भारत के आम आदमी की आवाज़ थे।
उनका सादापन, गहराई और संवादों में ठहराव आज भी कलाकारों के लिए मार्गदर्शन है।