


सुप्रीम कोर्ट निर्वाचन आयोग के बिहार में मतदाता सूचियों के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) के फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर 10 जुलाई को सुनवाई करने के लिए सोमवार को राजी हो गया। जस्टिस सुधांशु धुलिया और जस्टिस जॉयमाल्या बागची की आंशिक कार्य दिवस पीठ ने कई याचिकाकर्ताओं की ओर से कपिल सिब्बल की अगुवाई में कई वरिष्ठ वकीलों की दलीलों को सुना और याचिकाओं पर गुरुवार को सुनवाई के लिए राजी हुई।
इलेक्शन कमीशन के आदेश को चुनौती दी गई
पीठ ने याचिकाकर्ताओं से कहा कि वे इंडिया इलेक्शन कमीशन के वकील को अपनी याचिकाओं की पूर्व सूचना दें। राजद सांसद मनोज झा और तृणमूल कांग्रेस सांसद महुआ मोइत्रा समेत कई नेताओं ने कोर्ट में याचिकाएं दायर की हैं। जिसमें बिहार में मतदाता सूची के एसआईआर का निर्देश देने वाले इलेक्शन कमीशन के आदेश को चुनौती दी गई है।
राजद नेता ने क्या कहा
ऐसे में बड़ी संख्या में लोगों के लिए इस प्रक्रिया में सार्थक रूप से भाग लेना अत्यंत कठिन और लगभग असंभव हो जाता है। राजद नेता ने कहा कि इससे सबसे अधिक प्रभावित वर्गों में प्रवासी मजदूर शामिल हैं, जिनमें से कई 2003 की मतदाता सूची में शामिल होने के बावजूद निर्धारित 30 दिन की समय-सीमा के भीतर बिहार लौटकर नामांकन फॉर्म जमा नहीं कर पाएंगे, जिससे उनका नाम स्वतः ही मतदाता सूची से हटा दिया जाएगा।