यह घटना सच में दिल को झकझोर देने वाली है। देहरादून में हाल ही में त्रिपुरा से आए दो युवकों एंजेल चकमा और माइकल चकमा पर नस्लीय हमला हुआ, जिसने पूरे उत्तर-पूर्वी भारत के छात्रों और समुदाय को झकझोर कर रख दिया है।
घटना का विवरण
यह हमला 24 वर्षीय एंजेल चकमा और उनके साथी माइकल चकमा पर हुआ। दोनों युवक त्रिपुरा से देहरादून पढ़ाई के लिए आए थे। हमलावर नशे में थे और उन्होंने एंजेल और माइकल की शक्ल-सूरत को लेकर नस्लीय गालियां दीं। इसके बाद उन पर चाकू से हमला किया गया। एंजेल चकमा को गंभीर चोटें आईं और वे 17 दिनों तक जिंदगी और मौत के बीच जूझते रहे। हालांकि, अंततः उनकी मौत हो गई। वहीं, माइकल चकमा गंभीर रूप से घायल हो गए, लेकिन उनकी हालत स्थिर बताई जा रही है।
पुलिस कार्यवाही
उत्तराखंड पुलिस ने इस जघन्य अपराध के पांच आरोपियों को गिरफ्तार किया है। गिरफ्तार आरोपियों में अविनाश नेगी, शौर्य राजपूत, सूरज खवास, आयुष बदोनी और सुमित शामिल हैं। पुलिस ने इस घटना को गंभीरता से लिया है और आरोपी जल्द से जल्द सख्त सजा दिलवाने के लिए काम कर रही है। इस घटना के बाद, उत्तर-पूर्वी भारत के छात्रों में भारी आक्रोश है। यूनिफाइड त्रिपुरा स्टूडेंट्स एसोसिएशन (UTSAD) ने एक कैंडल मार्च का आयोजन किया, जिसमें न्याय की मांग की गई। इस कैंडल मार्च में उत्तर-पूर्वी समुदाय के छात्र और नागरिक बड़ी संख्या में शामिल हुए। इसके अलावा, अन्य छात्र संघों और यूनियनों ने भी इस मार्च में अपना समर्थन दिया। मार्च के दौरान एंजेल चकमा की याद में श्रद्धांजलि अर्पित की गई और न्याय की मांग की गई।
सशक्त विरोध
यह घटना केवल एक व्यक्तिगत हमले का मामला नहीं, बल्कि एक बड़ा सामाजिक और नस्लीय मुद्दा बन चुकी है। उत्तर-पूर्वी भारत के छात्रों और समुदायों ने इस घटना के खिलाफ एकजुट होकर अपने अधिकारों और सुरक्षा की मांग की है दूसरी ओर, इस घटना ने पूरे भारत में नस्लीय भेदभाव और नस्लीय हिंसा के मुद्दे को फिर से उभारा है, और कई लोगों ने इसकी निंदा की है। कैंडल मार्च जैसे आयोजन इस बात की ओर इशारा करते हैं कि समाज में समानता और न्याय की भावना को मजबूत करना जरूरी है, ताकि ऐसे हमलों को रोका जा सके और हर व्यक्ति को सम्मान और सुरक्षा मिले।
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