मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा है कि भगवान श्रीराम के प्रिय मित्र महाराज निषादराज ने सबसे पहले श्रीराम की प्रभुता को पहचाना था। मछुआ समुदाय जल में जीवन दांव पर लगाकर कार्य करता है, यह एक साहसिक कार्य है। मछुआरों और मछली का संबंध प्राचीन काल से रहा है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में प्रदेश में मछुआ कल्याण के लिए कई योजनाएं संचालित की जा रही हैं। सरकार युवाओं को रोज़गार उपलब्ध करा रही है और मत्स्य पालन को भी एक उद्योग के रूप में मान्यता दी जा रही है। अब इसे अन्य उद्योगों की तरह सभी सुविधाएं मिलेंगी।
22 करोड़ 65 लाख रुपए की लागत से 453 स्मार्ट फिश पार्लर का भूमि-पूजन
मुख्यमंत्री डॉ.मोहन यादव ने 22 करोड़ 65 लाख रुपए की लागत से बनने वाले 453 स्मार्ट फिश पार्लर का भूमि-पूजन किया। साथ ही इंदिरा सागर बांध में लगभग 92 करोड़ रुपए की लागत से 3360 केज परियोजना का वर्चुअल भूमि-पूजन भी किया। मुख्यमंत्री ने मछुआ समुदाय को बेहतर जीवनशैली के लिए प्रेरित किया।
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव शनिवार को उज्जैन स्थित कालिदास संस्कृत अकादमी परिसर में आयोजित राज्य स्तरीय निषादराज सम्मेलन एवं प्रशिक्षण कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने इस अवसर पर मत्स्य पालन से संबंधित प्रदर्शनी का अवलोकन किया, दीप प्रज्ज्वलन कर और भगवान निषादराज की प्रतिमा पर पुष्प अर्पित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया।
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा कि अब मछली पालन केवल पारंपरिक पेशा नहीं, बल्कि एक आधुनिक उद्योग बन चुका है। इसमें निवेश और उत्पादन दोनों बढ़ेगा और युवाओं को बड़े पैमाने पर रोज़गार मिलेगा। भोपाल में 40 करोड़ रुपये की लागत से अत्याधुनिक एक्वा पार्क (मछलीघर) का निर्माण किया जा रहा है। सरकार मछुआरों को अनुदान भी प्रदान करेगी।
उन्होंने बताया कि सिंचाई के क्षेत्र में सरकार ने उल्लेखनीय वृद्धि की है। पूर्ववर्ती सरकार के समय जहां केवल 7 लाख हेक्टेयर भूमि पर सिंचाई होती थी, वही अब यह रकबा 55 लाख हेक्टेयर तक पहुंच गया है। पार्वती-कालीसिंध-चंबल (पीकेसी) लिंक परियोजना से यह रकबा 100 लाख हेक्टेयर तक पहुंचने की संभावना है। सरकार द्वारा कई तालाबों का निर्माण भी किया जाएगा, जिससे मछुआरों को स्थायी रोजगार मिलेगा।
430 मछुआरों को आईस बॉक्स वाली मोटरसाइकिलें वितरित की गईं
मुख्यमंत्री ने बताया कि मछुआरों को 430 मोटरसाइकिलें दी गई हैं, जिनमें आइस बॉक्स लगाए गए हैं ताकि मछलियों को बाजार तक ताजा अवस्था में ले जाया जा सके। वर्तमान में प्रदेश में 4.4 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में मत्स्य पालन हो रहा है और वर्ष 2024-25 में 3.81 लाख मीट्रिक टन मछली उत्पादन दर्ज किया गया है।
प्रदेश में लगभग 2 लाख से अधिक मत्स्य पालक पंजीकृत हैं, जिनमें महिलाएं भी प्रमुख भूमिका निभा रही हैं। 217 करोड़ रुपए की लागत से आधुनिक हैचरी का निर्माण किया जाएगा, जिससे राज्य को मछली बीज के लिए बंगाल पर निर्भर नहीं रहना पड़ेगा। सरकार का लक्ष्य मध्यप्रदेश को दूध और मछली उत्पादन में अग्रणी राज्य बनाना है।बदलते समय के साथ मत्स्य पालन क्षेत्र में भी आधुनिक तकनीक, मशीनों और स्टार्टअप्स का समावेश हो रहा है।
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