गोपाष्टमी का पर्व हर साल कार्तिक शुक्ल पक्ष की अष्टमी को मनाया जाता है। पंचांग के अनुसार, इस बार गोपाष्टमी का पर्व 9 नवंबर को मनाया जा रहा है। मान्यता है कि इसी दिन भगवान कृष्ण ने गौ चारण लीला शुरू की थी इसलिए ही इस दिन गौ माता की सेवा की जाती है। कहा जाता है कि अगर कोई भी गोपाष्टमी के दिन सच्चे मन से पूजा पाठ के साथ व्रत कथा का पाठ करता है उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। ये पर्व मुख्य रूप से भगवान कृष्ण की नगरी गोकुल, मथुरा, ब्रज और वृंदावन में मनाया जाता है।
गोपाष्टमी कथा
एक बार बाल गोपाल जब 6 साल के थे तो वे अपनी माता से कहने लगे कि मां अब मैं अब बड़ा हो गया हूं और इसलिए अब बछड़े चराने नहीं जाऊंगा मैं गौ माता के साथ जाऊंगा। यशोदा ने बात को टालते हुए कहा कि अच्छा ठीक है लेकिन एक बार बाबा से पूछ लो। तब भगवान कृष्ण नंद बाबा के पास गये और कहन लगे कि अब मैं बछड़े नहीं बल्कि गाय चराने जाया करूंगा। नंद बाबा ने उन्हें समझाने की बहुत कोशिश की लेकिन कृष्णा की हठ के आगे उनकी एक न चली। फिर नंद बाबा ने कहा कि ठीक है लेकिन पहले जाकर पंडित जी को बुला लाओ ताकि उनसे गौ चारण के लिए शुभ मुहूर्त का पता लगा सकूं। बाल गोपाल दौड़ते हुए पंडित जी के पास पहुंचे और उनसे कहा कि पंडित जी आपको नंद बाबा ने गौ चारण का मुहूर्त देखने के लिए बुलाया है। साथ ही बाल गोपाल ने ये भी कहा कि आप आज ही शुभ मुहूर्त बताना तो मैं आपको बहुत सारा मक्खन दूंगा।पंडित जी नंद बाबा के पास पहुंचे और पंचांग देखकर उसी दिन का समय गौ चारण के लिए शुभ बता दिया और साथ ही ये भी कहा कि आज के बाद से एक साल तक गौ चारण के लिए कोई अन्य मुहूर्त नहीं है। नंद बाबा ने बाल गोपाल को गौ चारण की आज्ञा दे दी। उसी दिन से भगवान कृष्ण गाय चराने जाने लगे। कहा जाता है कि जिस दिन से बाल गोपाल ने गौ चारण शुरू किया था, उस दिन कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी थी। भगवान द्वारा उस दिन गाय चराने का काम शुरू करने की वजह से ही इसे गोपाष्टमी कहा गया।
Comments (0)