हिंदू धर्म में महाशिवरात्रि का बहुत अधिक महत्व होता है। महाशिवरात्रि का पर्व भगवान शिव को समर्पित होता है। इस दिन भगवान शिव की विधि विधान से पूजा की जाती हैं। भगवान शिव सबसे जल्दी प्रसन्न होने वाले देवताओं में से एक माने जाते हैं। देवों के देव कहलाने वाले महादेव की पूजा के लिए महाशिवरात्रि का महापर्व सबसे ज्यादा शुभ और फलदायी माना गया है। पंचांग के अनुसार फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी तिथि 26 फरवरी को सुबह 11 बजकर 8 मिनट से शुरू होगी और 27 फरवरी को सुबह 8 बजकर 54 मिनट पर समाप्त होगी। महाशिवरात्रि की पूजा में रात्रि के प्रहर की पूजा का महत्व खास माना जाता है इसलिए महाशिवरात्रि 26 फरवरी को मानी जाएगी।
जलाभिषेक का शुभ समय
शिवलिंग पर जलाभिषेक का शुभ मुहूर्त सुबह 6 बजकर 47 मिनट से 9 बजकर 42 तक है। उसके बाद 11 बजकर 6 मिनट से 12 बजकर 35 मिनट तक जलाभिषेक होगा। वहीं उसके बाद शाम को जलाभिषेक का मुहूर्त रहेगा, जो 3 बजकर 25 मिनट से 6 बजकर 8 मिनट तक। साथ ही अगर रात्रि जलाभिषेक के मुहूर्ति की बात करें तो रात्रि में 8 बजकर 54 मिनट से 12 बजकर 1 मिनट तक पूजा का शुभ समय रहेगा।
भगवान शिव की प्रिय चीजें
रुद्राक्ष
महादेव का मनका कहलाने वाले रुद्राक्ष को भगवान शिव का महाप्रसाद माना गया है। मान्यता है कि इसकी उत्पत्ति भगवान शिव के आंसुओं से हुई है। जिसे महाशिवरात्रि की पूजा में अर्पित करने और प्रसाद के रूप में धारण करने पर व्यक्ति को सभी प्रकार के सुख प्राप्त होते हैं। अलग-अलग आकार वाले रुद्राक्ष का संबंध न सिर्फ अन्य देवी देवताओं से बल्कि नवग्रहों से भी होता है। ऐसे में इसे शिव पूजा में प्रयोग करने पर शिव संग इनका भी आशीर्वाद प्राप्त होता है।
बिल्व पत्र
शिव भगवान को बेल पत्र बहुत ज्यादा प्रिय है। मान्यता है कि शिव पूजा में इसे चढ़ाने से शिव के भक्तों को उनका शीघ्र ही आशीर्वाद प्राप्त होता है। सनातन परंपरा में बेलपत्र की तीन पत्तियों में से एक को रज, दूसरे को सत्व और तीसरे को तमोगुण का प्रतीक माना गया है। ऐसे में बेलपत्र चढ़ाने पर महादेव की कृपा से साधक को सभी प्रकार के सुख और संपदा की प्राप्ति होती है। शिव पूजा में इसे चढ़ाते समय इसकी डंठल को तोड़कर उलटा चढ़ाना चाहिए।
भस्म
भगवान शंकर की पूजा में भस्म का बहुत ज्यादा धार्मिक महत्व है। भस्म को शिव का वस्त्र माना गया है, जिसे वे अपने पूरे शरीर पर लपेटे रहते हैं। मान्यता है कि सृष्टि अंत में उसी राख के रूप में परिवर्तित हो जाती है, जिसे महादेव अपने शरीर में धारण किए रहते हैं। मान्यता है कि महाशिवरात्रि पर भगवान शिव को भस्म चढ़ाने से व्यक्ति के सभी पापों का नाश हो जाता है।
दूध और दही
मान्यता है कि महाशिवरात्रि पर भगवान शिव को दूध से अभिषेक करने से व्यक्ति को आरोग्य की प्राप्ति होती है। वहीं दही चढ़ाने से शिव भक्त के जीवन में हमेशा खुशियां और सुख-समृद्धि बनी रहती है।
Comments (0)