रायपुर। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत तीन दिवसीय छत्तीसगढ़ दौरे पर हैं। उन्होंने रायपुर के एम्स ऑडिटोरियम में आयोजित युवा संवाद कार्यक्रम में देश और समाज से जुड़े कई मुद्दों पर अपनी बातें साझा कीं।
जंगल संरक्षण और विकास पर दृष्टिकोण
भागवत ने अरावली पर्वत का उदाहरण देते हुए कहा कि वर्तमान में दुनिया केवल दो ही रास्तों पर चल रही है – या तो जंगलों को काटकर विकास करना, या जंगल बचाकर विकास रोक देना। उन्होंने कहा,“हमें बीच का रास्ता निकालना होगा, जिसमें जंगल भी बचे रहें और विकास भी हो। मौजूदा समय में इस दिशा में केवल भारत ही काम कर रहा है।” उन्होंने यह भी बताया कि अन्य देशों में इस बात पर गंभीरता से विचार नहीं किया जा रहा कि जंगल भी बचें और विकास भी हो सके।
धर्मांतरण और सामाजिक एकजुटता
डॉ. भागवत ने धर्मांतरण के मुद्दे पर कहा कि अपने ही लोगों पर अविश्वास यह समस्या बढ़ाने का मुख्य कारण है। उन्होंने जोर देकर कहा कि लोगों के मन में विश्वास फिर से स्थापित करना आवश्यक है। इसके लिए समाज के लोगों को उनके पास जाना होगा और उनके दुख-सुख में शामिल होना होगा। भागवत ने कहा कि धर्मांतरण कर चुके लोगों को सम्मान और प्रेम देना चाहिए और उनके मन से अपने समाज के प्रति हीन भावना दूर करनी होगी। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि समाज को यह समझाना होगा कि संघ उनके साथ खड़ा है और उन्हें पिछड़ेपन से आगे बढ़ने में मदद मिल सकती है।
RSS की रणनीति और सामाजिक प्रभाव
यह दौरा RSS के शताब्दी वर्ष के दौरान हो रहा है, जब संघ देशभर में बड़े सामाजिक आयोजनों पर विशेष जोर दे रहा है। छत्तीसगढ़ में आदिवासी और युवा आबादी का अनुपात काफी अधिक है, इसलिए युवाओं से सीधा संवाद संघ की रणनीतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण माना जा रहा है। डॉ. भागवत का यह तीन दिवसीय दौरा केवल संगठनात्मक कार्यक्रम नहीं है, बल्कि युवा, समाज और संस्कृति को केंद्र में रखकर संघ की दीर्घकालिक रणनीति को भी दर्शाता है। विश्लेषकों का मानना है कि आने वाले महीनों में इसका असर सामाजिक और राजनीतिक विमर्श में देखा जा सकता है।
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