पाकिस्तान बार बार भारत से पिटाई खाता, फिर धूल पोंछता है और फिर ताव में उछलने लगता है। 1948 से लेकर ऑपरेशन सिंदूर तक में भारत से बुरी तरह हारने के बाद भी पाकिस्तान भारत को धमकाने से बाज नहीं आ रहा है। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने एक बार फिर से गीदड़भभकी देते हुए कहा है कि "पाकिस्तान की नौसेना ऑपरेशन द्वारका जैसा अभियान चलाने के लिए पूरी तरह से तैयार थी। लेकिन पाकिस्तान की जमीनी और वायु सेना की ओर से मुंहतोड़ जवाब देखने के बाद भारतीय नौसेना ने टकराव टाल दिया।" मतलब सोचिए, ये बयान उस देश के प्रधानमंत्री का है, जिसके 12 से ज्यादा एयरबेस पर भारत ने डायरेक्ट हमले किए थे। मतलब जिस शहबाज शरीफ को अभी दो-चार महीने शर्म से अपने घर से बाहर नहीं निकलना चाहिए था वो गीदड़भभकी देने में लगे हैं। इतिहास और हकीकत की आंखों में धूल झोंकना पाकिस्तान की पुरानी आदत रही है और ऑपरेशन द्वारका उसका क्लासिक उदाहरण है। शहबाज शरीफ ने जब ऑपरेशन द्वारका और ऑपरेशन सोमनाथ का जिक्र कर ही दिया है, तो जानना जरूरी हो जाता है कि आखिर ये ऑपरेशन क्या थे?
पाकिस्तान का 'ऑपरेशन द्वारका' क्या था?
शहबाज शरीफ जिस 'ऑपरेशन द्वारका' का जिक्र कर रहे हैं वो असल में 1965 की भारत-पाकिस्तान की लड़ाई के दौरान पाकिस्तान की नौसेना ने चलाया था। 'ऑपरेशन द्वारका' को ही पाकिस्तान ने 'ऑपरेशन सोमनाथ' कोड नाम दिया। इसके जरिए उसकी कोशिश भारत के हिंदुओं की भावना को आहत करना था, क्योंकि मोहम्मद गजनी ने सोमनाथ मंदिर को कई बार लूटा था। लिहाजा पाकिस्तान ने मोहम्मद गजनी से इसे जोड़ा था। 1965 की लड़ाई के दौरान पाकिस्तान की नौसेना ने 7-8 सितंबर की रात को गुजरात शहर के द्वारका शहर पर बमबारी का आदेश दिया था। पाकिस्तान का मानना था कि द्वारका में भारत का नेवल बेस और रडार स्टेशन है। पाकिस्तान इसे खत्म कर अपने कराची बंदरगाह को सुरक्षित करना चाहता था। इस दौरान पाकिस्तान की नौसेना ने द्वारका शहर के पानी समुद्री और नागरिक क्षेत्र में काफी देर तक बमबारी की थी। ये हमला करीब 22 मिनट तक चला था और इस दौरान करीब 60 से ज्यादा बम के गोले दागे गये थे।
लेकिन बाद में खुलासा हुआ था कि उस दौरान द्वारका शहर में ना तो कोई नेवल बेस था और ना ही कोई रडार स्टेशन। भारत ने उस दौरान पाकिस्तान की नौसेना को आराम से बमबारी करने दिया था, ताकि उसे लगे कि उसने नेवल बेस को उड़ा दिया है। पाकिस्तान की बमबारी में भारत को कोई नुकसान नहीं हुआ था। भारत के रेलवे स्टेशन से लेकर मंदिर तक पूरी तरह से सुरक्षित रहे थे। लेकिन पाकिस्तान आज तक मानता है कि उसने द्वारका शहर में भारत के नेवल बेस और रडार स्टेशन को उड़ा दिया। और उसी गलतफहमी का नतीजा पाकिस्तान को 1971 के युद्ध में चुकाना पड़ा था।
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