भगवान सत्यनारायण की पूजा-अर्चना के लिए पूर्णिमा पर खास मानी जाती है। पूर्णिमा तिथि के दिन भक्तजन, सत्य को ईश्वर मानकर और निष्ठा के साथ सत्यनारायण देव की पूजा करते हैं।
भगवान सत्यनारायण की पूजा-अर्चना के लिए पूर्णिमा पर खास मानी जाती है। माना गया है कि पूर्णिमा तिथि के दिन जो भक्तजन, सत्य को ईश्वर मानकर और निष्ठा के साथ सत्यनारायण देव की पूजा करते हैं और कथा सुनते हैं, उन्हें मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है।
श्री सत्यनारायण जी आरती
जय लक्ष्मी रमणा,
स्वामी जय लक्ष्मी रमणा ।
सत्यनारायण स्वामी,
जन पातक हरणा ॥
ॐ जय लक्ष्मी रमणा,
स्वामी जय लक्ष्मी रमणा ।
रत्न जड़ित सिंहासन,
अद्भुत छवि राजै ।
नारद करत निराजन,
घण्टा ध्वनि बाजै ॥
ॐ जय लक्ष्मी रमणा,
स्वामी जय लक्ष्मी रमणा ।
प्रकट भये कलि कारण,
द्विज को दर्श दियो ।
बूढ़ा ब्राह्मण बनकर,
कंचन महल कियो ॥
ॐ जय लक्ष्मी रमणा,
स्वामी जय लक्ष्मी रमणा ।
दुर्बल भील कठारो,
जिन पर कृपा करी ।
चन्द्रचूड़ एक राजा,
तिनकी विपत्ति हरी ॥
ॐ जय लक्ष्मी रमणा,
स्वामी जय लक्ष्मी रमणा ।
वैश्य मनोरथ पायो,
श्रद्धा तज दीन्ही ।
सो फल भोग्यो प्रभुजी,
फिर-स्तुति कीन्हीं ॥
ॐ जय लक्ष्मी रमणा,
स्वामी जय लक्ष्मी रमणा ।
भाव भक्ति के कारण,
छिन-छिन रूप धरयो ।
श्रद्धा धारण कीन्हीं,
तिनको काज सरयो ॥
ॐ जय लक्ष्मी रमणा,
स्वामी जय लक्ष्मी रमणा ।
ग्वाल-बाल संग राजा,
वन में भक्ति करी ।
मनवांछित फल दीन्हों,
दीनदयाल हरी ॥
ॐ जय लक्ष्मी रमणा,
स्वामी जय लक्ष्मी रमणा ।
चढ़त प्रसाद सवायो,
कदली फल, मेवा ।
धूप दीप तुलसी से,
राजी सत्यदेवा ॥
ॐ जय लक्ष्मी रमणा,
स्वामी जय लक्ष्मी रमणा ।
श्री सत्यनारायण जी की आरती,
जो कोई नर गावै ।
ऋद्धि-सिद्ध सुख-संपत्ति,
सहज रूप पावे ॥
जय लक्ष्मी रमणा,
स्वामी जय लक्ष्मी रमणा ।
सत्यनारायण स्वामी,
जन पातक हरणा ॥
स्कंद पुराण में भगवान सत्यनारायण की महिमा का वर्णन किया गया है। इस पुराण में वर्णन मिलता है कि भगवान विष्णु ने नारद मुनि को सत्यनारायण व्रत का महत्व बताया था। कहा जाता है कि सत्यनारायण भगवान की पूजा-अर्चना और कथा सुनने मात्र से व्यक्ति को पुण्य फलों की प्राप्ति हो सकती है। इससे साधक के जीवन में आ रही परेशानियां दूर होती हैं और नकारात्मक शक्तियों से भी बचाव होता है।
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