भोपाल गैस त्रासदी से जुड़ा 337 टन जहरीला कचरा अब पूरी तरह से नष्ट कर दिया गया है। यह कार्य 55 दिनों में पूरा हुआ, और इसे "भोपाल का कलंक" कहे जाने वाले कचरे की सफाई के रूप में देखा जा रहा है, जो 1984 की भीषण औद्योगिक दुर्घटना के बाद से वहां जमा था।
इस खबर के प्रमुख बिंदु:
- 337 टन जहरीला कचरा यूनियन कार्बाइड के पुराने प्लांट से निकाला गया था।
- 55 दिनों में इस कचरे को नष्ट किया गया — इसे इको-फ्रेंडली और सुरक्षित तरीके से जलाया गया।
- यह प्रक्रिया महाराष्ट्र के चंद्रपुर में स्थित एक आधुनिक इंसीनरेटर (कचरा जलाने की भट्टी) में की गई।
- इसका उद्देश्य स्थानीय पर्यावरण और स्वास्थ्य पर पड़े लंबे असर को खत्म करना और एक ऐतिहासिक पीड़ा के चिह्न को मिटाना था।
क्यों महत्वपूर्ण है ये काम?
- भोपाल गैस त्रासदी को इतिहास की सबसे भयावह औद्योगिक दुर्घटनाओं में गिना जाता है, जिसमें हजारों लोग मारे गए और लाखों प्रभावित हुए।
- इस त्रासदी के बाद यूनियन कार्बाइड के प्लांट में जमा रह गया रासायनिक कचरा अब तक वहां के लोगों के लिए एक स्थायी खतरा बना हुआ था।
- इसे हटाने की प्रक्रिया में देरी और राजनीतिक व कानूनी अड़चनें दशकों तक बनी रहीं।
आगे की दिशा:
- अब जब कचरा पूरी तरह से नष्ट हो चुका है, तो यह उम्मीद की जा रही है कि उस जगह का पुनर्विकास किया जाएगा।
- मल्टी-स्पेशलिटी अस्पताल और स्मारक की योजना भी चर्चा में है, ताकि पीड़ितों को उचित सम्मान और स्वास्थ्य सेवाएं मिल सकें।
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