भारतीय सशस्त्र बलों के लिए यह एक मुश्किल समय है। उनके पास 350 पुराने सिंगल-इंजन चीता और चेतक हेलीकॉप्टर हैं, जो बार-बार खराब होते हैं और दुर्घटनाग्रस्त हो रहे हैं। इसके अलावा, करीब 330 ट्विन-इंजन ध्रुव उन्नत हल्के हेलीकॉप्टर (एएलएच) भी पिछले तीन महीनों से उड़ान नहीं भर पा रहे हैं। इससे सैन्य अभियानों और तैयारियों पर बुरा असर पड़ा है।
ध्रुव हेलीकॉप्टरों का महत्व
ध्रुव हेलीकॉप्टर सेना, वायुसेना, नौसेना और तटरक्षक बल के लिए बहुत जरूरी हैं। ये हेलीकॉप्टर चीन और पाकिस्तान से लगी सीमाओं पर सैनिकों को रसद पहुंचाने, निगरानी, खोज और बचाव जैसे काम करते हैं। सेना के पास 180 से ज्यादा ध्रुव हेलीकॉप्टर हैं, जिनमें 60 रुद्र नाम के हथियारबंद हेलीकॉप्टर शामिल हैं। वायुसेना के पास 75, नौसेना के पास 24 और तटरक्षक बल के पास 19 ध्रुव हेलीकॉप्टर हैं। लेकिन जनवरी में पोरबंदर में हुई दुर्घटना के बाद से ये सभी हेलीकॉप्टर जमीन पर हैं।
हेलीकॉप्टरों की कमी
ध्रुव हेलीकॉप्टरों के रुकने से सैन्य अभियानों में बड़ी रुकावट आई है। पायलटों को उड़ान का अभ्यास करने का मौका नहीं मिल रहा, और वे सिम्युलेटर पर निर्भर हैं। सशस्त्र बलों को अगले 10-15 साल में 1,000 से ज्यादा नए हेलीकॉप्टर चाहिए, जिनमें 484 हल्के उपयोगी हेलीकॉप्टर (एलयूएच) और 419 भारतीय मल्टी-रोल हेलीकॉप्टर शामिल हैं।
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