वक्फ संशोधन विधेयक को लेकर आज यानी बुधवार को संसद में जोरदार हंगामा होने की उम्मीद है. वक्फ संसोधन विधेयक को पारित कराने के लिए आज इसे लोकसभा में पेश किया जाएगा, जिससे सरकार और प्रस्तावित कानून को असंवैधानिक बताकर इसकी निंदा करने वाले विपक्ष के बीच टकराव होगा. पक्ष और विपक्ष दोनों इस विधेयक को लेकर दो-दो हाथ करने का मन बना चुके हैं. राज्यसभा में इस पर गुरुवार को चर्चा होने की उम्मीद है. दोनों सदनों में प्रस्तावित कानून पर चर्चा के लिए आठ-आठ घंटे आवंटित किए गए हैं.
एनडीए इस मुद्दे पर एकजुट
सूत्रों ने बताया कि बीजेपी के कुछ सहयोगी दल विधेयक में और बदलाव की मांग कर रहे हैं. बीजेपी के एक सहयोगी दल के वरिष्ठ सदस्य ने उम्मीद जताई कि सरकार उनके विचारों को ध्यान में रखेगी. उन्होंने जोर देकर कहा कि उनकी कुछ चिंताओं का निदान संसद की संयुक्त समिति ने की है और एनडीए इस मुद्दे पर एकजुट रहेगा. केंद्रीय अल्पसंख्यक और संसदीय कार्य मंत्री किरेन रीजीजू ने कहा कि लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला की अध्यक्षता में सदन की कार्य मंत्रणा समिति की बैठक में इस विधेयक पर आठ घंटे की चर्चा के लिए सहमति बनी, जिसे सदन की भावना के अनुरूप और बढ़ाया जा सकता है.
सत्तापक्ष और विपक्ष के बीच तकरार
बैठक में विधेयक को लेकर सत्तापक्ष और विपक्ष के बीच तीखी तकरार के संकेत तब दिखाई दिए जब विपक्षी गठबंधन इंडिया के सदस्यों ने बैठक से वॉकआउट किया और सरकार पर उनकी आवाज दबाने का आरोप लगाया. हालांकि इस मुद्दे पर गतिरोध से कोई खास फर्क नहीं पड़ता दिख रहा क्योंकि लोकसभा में सत्तारूढ़ बीजेपी नीत एनडीए के पक्ष में संख्याबल है.
क्या है संसद का नंबर गेम?
लोकसभा में 542 सदस्यों में एनडीए के 293 सांसद हैं और बीजेपी कई मौकों पर कुछ निर्दलीय सदस्यों का समर्थन हासिल करने में सफल रही है. आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक टीडीपी, जेडीयू और चिराग पासवान नीत एलजेपी (रामविलास) जैसे बीजेपी के बड़े सहयोगी दलों ने शुरू में विधेयक के कुछ पहलुओं पर आपत्ति जताई, लेकिन संसद की संयुक्त समिति द्वारा उनके कुछ सुझावों को अपनाए जाने के बाद वे विधेयक का समर्थन कर सकते हैं.
वक्फ संसोधन विधेयक को समर्थन
कैथलिक बिशप्स कॉन्फ्रेंस ऑफ इंडिया, चर्च ऑफ भारत ने मंगलवार को विधेयक के प्रति समर्थन प्रकट किया, जिससे प्रस्तावित कानून को उसके कथित व्यापक अल्पसंख्यक विरोधी एजेंडा का हिस्सा दर्शाने की विपक्ष की कोशिश को धता बताने के सरकार के प्रयासों को बल मिलता हुआ दिखा. पिछले साल विधेयक पेश करते समय सरकार ने इसे दोनों सदनों की एक संयुक्त समिति को भेजने का प्रस्ताव किया था.
कुछ बदलावों को दी मंजूरी
जेपीसी की रिपोर्ट प्रस्तुत किये जाने के बाद, उसकी सिफारिश के आधार पर केंद्रीय मंत्रिमंडल ने मूल विधेयक में कुछ बदलावों को मंजूरी दी थी. वहीं कार्य मंत्रणा समिति की बैठक में विपक्ष ने विधेयक पर चर्चा के लिए 12 घंटे का समय आवंटित करने की मांग की जबकि सरकार ने कम समय रखने पर जोर दिया ताकि अन्य विधायी कामकाज निपटाया जा सके.
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