भारत का चावल निर्यात अक्टूबर में 1 अरब डॉलर के आंकड़े को पार कर गया, इसके पीछे सरकार द्वारा चावल के शिपमेंट को सुगम बनाने के लिए उठाए गए कई कदम थे। वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, अक्टूबर 2024 में चावल निर्यात 1,050.93 मिलियन डॉलर रहा, जो पिछले साल अक्टूबर में 565.65 मिलियन डॉलर के मुकाबले 85.79% की बढ़ोतरी है। इसी वर्ष सितंबर में चावल निर्यात का मूल्य 694.35 मिलियन डॉलर था।
चावल निर्यात में वृद्धि के कारण
चावल शिपमेंट में यह तेज़ वृद्धि सरकार द्वारा पिछले दो महीनों में चावल निर्यात को सुगम बनाने के लिए उठाए गए कदमों के कारण हुई है। 28 सितंबर को केंद्र सरकार ने नॉन-बासमती व्हाइट चावल के निर्यात पर लगाए गए प्रतिबंध को हटा लिया था। हालांकि, इस पर 490 डॉलर प्रति टन का न्यूनतम निर्यात मूल्य (MEP) निर्धारित किया था, जिसे अंततः 23 अक्टूबर को हटा लिया गया।
27 सितंबर को सरकार ने नॉन-बासमती व्हाइट चावल पर 20 प्रतिशत निर्यात शुल्क को हटा लिया और तीन अन्य चावल श्रेणियों पर निर्यात शुल्क को आधा कर दिया। 'हस्क में चावल (पैडी या रफ)', 'हस्केड (ब्राउन) चावल' और 'पारबॉयल्ड चावल' पर शुल्क 20 प्रतिशत से घटाकर 10 प्रतिशत कर दिया गया था। हालांकि, 22 अक्टूबर को इसे और घटाकर शून्य कर दिया गया।
भारत के चावल निर्यात आंकड़े
भारत चावल का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक और सबसे बड़ा निर्यातक है। भारत ने पिछले साल चावल उत्पादन में मामूली कमी और मानसून के अनिश्चित प्रभाव के कारण चावल निर्यात पर प्रतिबंध लगाए थे। इस वर्ष के ख़रीफ सत्र के दौरान चावल उत्पादन में रिकॉर्ड वृद्धि की उम्मीद है, जो 119.93 मिलियन टन तक पहुंचने का अनुमान है, जो पिछले वर्ष के 113.26 मिलियन टन से 6.67 मिलियन टन (5.89 प्रतिशत) अधिक है। इसके कारण सरकार ने अब चावल निर्यात को सुगम कर दिया है।
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