RBI के गवर्नर शक्तिकांत दास ने आगाह किया कि वैश्विक वाणिज्यिक रियल एस्टेट क्षेत्र में दबाव के कारण बैंक शॉर्ट सेलर्स के निशाने पर हो सकते हैं। उन्होंने कहा कि इससे नकदी की कमी जैसी समस्या पैदा हो सकती है। सिंगापुर में ब्रेटन वुड्स कमेटी द्वारा आयोजित फ्यूचर ऑफ फाइनैंस फोरम 2024 को संबोधित करते हुए दास ने कहा कि वैश्विक वाणिज्यिक रियल एस्टेट क्षेत्र में दबाव पर बारीकी से नजर रखने की जरूरत है।
आरबीआई गवर्नर ने वैश्विक वित्तीय स्थिरता जोखिम के बारे में बताते हुए कहा, ‘बैंक अपने ऋण बहीखाते में अपेक्षाकृत उच्च सीआरई कवरेज अनुपात के कारण अपेक्षित और अप्रत्याशित सीआरई नुकसान के प्रति अधिक संवेदनशीलता दिखाते हैं। इसके अलावा वैश्विक वाणिज्यिक रियल एस्टेट में बड़े निवेश वाले बैंकों के लिए नकदी की कमी हो सकती है, क्योंकि शॉर्ट सेलर्स उन्हें निशाना बना सकते हैं। इससे निवेशकों का विश्वास कम हो सकता है।’
दास ने जोर देकर कहा कि नियामकों को सतर्क रहना चाहिए और प्रणालीगत स्थिरता एवं बैंक बहीखाते पर जोखिम से निपटने के लिए दूरदर्शी नियामकीय उपाय करने चाहिए। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष के अनुसार, सीआरई कीमतों में वैश्विक स्तर पर 12 फीसदी की गिरावट आई है। इसके अलावा यह क्षेत्र उच्च रिक्ति दरों और बढ़ती ऋण लागत के प्रति भी संवेदनशील बना हुआ है।
जहां तक भारत का सवाल है तो वाणिज्यिक रियल एस्टेट क्षेत्र का बैंक ऋण 28 जून, 2024 तक 22.8 फीसदी बढ़कर 4.21 लाख करोड़ रुपये हो गया। यह गैर-खाद्य ऋण के मुकाबले अधिक है जिसमें 13.9 फीसदी की वृद्धि हुई थी। इन आंकड़ों में एचडीएफसी का एचडीएफसी बैंक में विलय का प्रभाव शामिल नहीं है। यह विलय 1 जुलाई 2023 से प्रभावी हुआ था।
RBI के गवर्नर शक्तिकांत दास ने आगाह किया कि वैश्विक वाणिज्यिक रियल एस्टेट क्षेत्र में दबाव के कारण बैंक शॉर्ट सेलर्स के निशाने पर हो सकते हैं। उन्होंने कहा कि इससे नकदी की कमी जैसी समस्या पैदा हो सकती है।
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