अमेरिका का राष्ट्रपति चुनाव काफी उग्र होता जा रहा है। इस सप्ताह फिलाडेल्फिया में डिबेट में पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प क्रोधित और पीड़ित नजर आए। उन्होंने झूठा और बेजा आरोप दोहराया कि 2020 के चुनाव में धांधली हुई थी। रिपब्लिकन पार्टी के 70% वोटर भी ऐसा मानते हैं। वे और उनकी पार्टी दूसरी बार चुनाव बाद के युद्ध की तैयारियों में जुट गई हैं। वैसे, दोनों पार्टियां रिपब्लिकन और डेमोक्रेटिक कहती हैं कि दूसरे पक्ष की जीत से अमेरिकी लोकतंत्र को खतरा है। अगर हैरिस जीतती हैं तो ट्रम्प सुहृदयता नहीं दिखाएंगे। इस स्थिति में अमेरिका के वोटिंग सिस्टम की भिड़ंत डोनाल्ड ट्रम्प की धांधली करने वाली मशीनरी से होगी। रिपब्लिकन नेशनल कमेटी ने नतीजों के चुनौती देने के लिए राज्यों में 100 से अधिक चुनाव याचिकाएं दाखिल कर रखी हैं।
2020 के समान यह रणनीति नाकाम हो सकती है। निर्णायक राज्यों के गवर्नर चुनावी धांधली के आरोपों पर यकीन नहीं करते हैं। यदि कुछ मामले सुप्रीम कोर्ट में जाते हैं तो संभव है ट्रम्प द्वारा नियुक्त तीन जज अपनी निष्पक्षता और स्वतंत्रता दर्शाने के लिए कमजोर चुनौतियों को खारिज कर दें। इकोनॉमिस्ट का अनुमान है, यह चुनाव अब तक का सबसे कड़ा मुकाबला होगा। चुनाव नतीजे के बाद हिंसा की आशंका बन रही है। डोनाल्ड ट्रम्प के बिना भी अमेरिकी चुनावों में टकराव की स्थितियां रहती हैं। यहां सबसे अधिक वोट पाने वाले का जीतना जरूरी नहीं है। वोटिंग और संसद द्वारा नतीजे की पुष्टि के बीच दो माह का अंतर किसी अन्य देश में नहीं है । पेचीदगियों की वजह से कानूनी चुनौतियां होती हैं। अमेरिकी चुनाव में धीरज और विश्वास की जरूरत है। दुर्भाग्य से अमीर देशों के ग्रुप जी-7 में न्यायपालिका में विश्वास और चुनावों की निष्पक्षता पर भरोसे के मामले में अमेरिका सबसे नीचे है।
अमेरिका का राष्ट्रपति चुनाव काफी उग्र होता जा रहा है। इस सप्ताह फिलाडेल्फिया में डिबेट में पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प क्रोधित और पीड़ित नजर आए। उन्होंने झूठा और बेजा आरोप दोहराया कि 2020 के चुनाव में धांधली हुई थी।
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