Tehrik-i-Taliban Pakistan - अमेरिका के विदेश मंत्री स्टेट एंटोनी ब्लिंकन ने गुरुवार को एक समीक्षा बैठक में पाकिस्तान (Pakistan) आतंकवादी संगठनों विचार रखे। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान के कश्मीर केंद्रित आतंकी संगठन हिजबुल मुजाहिदीन और तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान संगठनों को अंतरराष्ट्रीय आतंकवादी संगठनों की सूची से नहीं हटाया जाएगा। उन्होंने कहा कि उनके दर्जे में बदलाव का कोई कारण नजर नहीं आता।
फेडरल रजिस्टर में ब्लिंकन के निर्णय को किया गया रजिस्टर
बता दें कि यह निर्णय तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान, हिजबुल मुजाहिदीन और द आर्मी ऑफ इस्लाम (और इसके अन्य सहयोगी) की विदेशी आतंकवादी संगठनों के तौर पर पहचाने जाने को लेकर की गई समीक्षा के बाद आया। ब्लिंकेन के निर्णय को फेडरल रजिस्टर में गुरुवार को अधिसूचित किया गया। समीक्षा में यूएस की राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा को मद्देनजर रखा गया।
आतंकवादी संगठनों का दर्जा नहीं बदला जाएगा
समीक्षा के आधार पर ब्लिंकेन ने कहा कि इन संस्थानों का विदेशी आतंकवादी संगठनों का दर्जा नहीं बदला जाएगा। उन्होंने यह बात प्रबंधकीय दस्तावेजों और अटार्नी जनरल व ट्रेजरी सचिव से परामर्श के बाद कही। आगे उन्होंने कहा कि यूनाइटेड स्टेट्स की राष्ट्रीय सुरक्षा ने उनकी इस स्थिति को हटाए जाने का समर्थन नहीं करती। ऐसे में मैं मानता हूं कि इन संगठनों का विदेशी आतंकी संगठनों का दर्जा कायम रखना सही है।
2007 में की गई थी टीटीपी की स्थापना
पाकिस्ता के (टीटीपी) तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान को अमेरिका द्वारा 1 सितंबर 2010 को आतंकी संगठनों की सूची में रखा गया था। इस संगठन के नेताओं हकिमुल्ला मसूद और वाली उर्रहमान को अंतरराष्ट्रीय आतंकवादी माना गया था। तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान को आमतौर पर पाकिस्तान तालिबान के तौर पर जाना जाता है। यह अफ़गानिस्तान की तालिबान से अलग है हालाँकि उनकी विचारधाराओं से काफ़ी हद तक सहमत है। बता दें कि यह 2001 से 2021 तक के युद्धों में तालिबान का साथ दे चुका है। इनका ध्येय पाकिस्तान में शरिया पर आधारित एक कट्टरपन्थी इस्लामी अमीरात को क़ायम करना है। हिजबुल मुजाहिदीन को यूएस, कनाडा, भारत और यूरोपीय यूनियन ने अंतरराष्ट्रीय आतंकी संगठनों की सूची में रखा है।ये उन इस्लामिक सशस्त्र आतंकी संगठनों में से एक है, जो अफगान-पाकिस्तान सीमा पर संचालित होते हैं। इसकी स्थापना 2007 में की गई थी।
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