क्या केंद्र की सत्ता में आएंगे शिवराज और वसुंधरा?
पार्टी नेताओं का कहना है कि केंद्रीय नेतृत्व इन दोनों नेताओं को पार्टी के भीतर या केंद्र सरकार में मौक़ा दे सकता है.
राज्य की सत्ता संभालने से पहले शिवराज और वसुंधरा दोनों केंद्र सरकार में रह चुके हैं. पार्टी से जुड़े नेताओं का कहना है कि 2014 में बीजेपी जब सत्ता में आई तो वसुंधरा को केंद्र की राजनीति में आने के लिए कहा गया था, मगर उन्होंने इससे इनकार किया था.
मोदी- शाह जब पार्टी पर अपनी पकड़ मज़बूत कर रहे थे, तब वसुंधरा राजस्थान में स्थानीय नेताओं, विधायकों और वफ़ादारों के बीच बनी रहकर राज्य में बीजेपी को संभाल रही थीं.
हालांकि 2018 में वसुंधरा राजे जब अशोक गहलोत के सामने सत्ता खोई तभी , बीजेपी ने राज्य में पार्टी के नए नेतृत्व को आगे लाने का फ़ैसला कर लिया था.
सीएम रहने के दौरान शिवराज ने अपना प्रभाव तेज़ी से बढ़ाया. ज्योतिरादित्य सिंधिया के कांग्रेस छोड़ने और बीजेपी में आने के बाद भी शिवराज की लोकप्रियता कम नहीं हुई और महिलाओं के लिए शुरू की गई स्कीम के कारण वो महिलाओं की नज़रों में अच्छे बने रहे.
शिवराज और वसुंधरा को क्या ज़िम्मेदारी दी जा सकती हैं
अब जब बीजेपी ने दोनों राज्यों में नेतृत्व को बदल दिया है. तब क्षेत्रीय स्तर पर इन नेताओं का क्या होगा, इसे लेकर अलग-अलग राय हैं. राज्यों के चुनावों में शामिल पार्टी नेताओ का मत हैं कि ये असंभव है कि वसुंधरा और शिवराज को कोई काम ना दिया जाए.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार , ''वसुंधरा और शिवराज बिना ज़िम्मेदारी के नहीं होंगे. इनको क्या ज़िम्मेदारी दी जाएगी, क्या इस ज़िम्मेदारी को ये लोग स्वीकार करेंगे या नहीं. इन सवालों का जवाब भविष्य के गर्त में समाहित हैं . भाजपा पार्टी कार्यकर्ताओं की पार्टी है. ऐसे लोग जिनके अच्छे ख़ास समर्थक हैं, उनकी सक्रियता कम नहीं की जा सकती.''
पार्टी के दूसरे वरिष्ठ नेता कहते हैं- कई लोगों का मानना है कि राज्य के चुनावों में बहुमत इन दोनों नेताओं को मिला. नेताओं को केंद्र सरकार में ज़िम्मेदारी दी जा सकती है. इन नेताओं से पार्टी से मिले ऑफर को अगर स्वीकार नहीं किया तो फ़ैसला लेने में वक़्त लग सकता है.
बीजेपी के एक वरिष्ठ नेता कहते हैं कि ये पूरी तरह शिवराज पर रहेगा कि वो दिल्ली से मिलने वाले ऑफर को स्वीकार करते हैं या नहीं. हाल ही में शिवराज सिंह चौहान ने मीडिया में कहा था, ''मैं पूरी विनम्रता से कहना चाहता हूं कि मैं अपने लिए कुछ मांगने से बेहतर मरना पसंद करूंगा. ये मेरा काम नहीं है.''
बीजेपी के एक नेता कहते हैं- शिवराज के इस बयान से पार्टी नेतृत्व परेशान हुआ होगा और अब इसकी संभावना कम ही है कि उन्हें दिल्ली में कोई ज़िम्मेदारी दी जाएगी.
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