भारत लगातार अपनी रक्षा क्षमता को सुदृढ़ कर रहा है और इसी क्रम में अरिहंत श्रेणी की चौथी परमाणु पनडुब्बी S4 ने समुद्री परीक्षण शुरू कर दिए हैं। यह लगभग 7,000 टन वजनी पनडुब्बी पिछले हफ्ते विशाखापत्तनम के शिपबिल्डिंग सेंटर (SBC) से समुद्र में उतारी गई। इसका मुख्य उद्देश्य आवश्यकता पड़ने पर समुद्र से परमाणु जवाब देने की क्षमता को मजबूत बनाना है।
80% स्वदेशी—आत्मनिर्भर भारत की बड़ी उपलब्धि
S4 की सबसे खास बात यह है कि यह लगभग 80 प्रतिशत स्वदेशी तकनीक और उपकरणों से निर्मित है। यह अब तक की अरिहंत क्लास की सबसे अधिक स्वदेशी पनडुब्बियों में गिनी जा रही है। इससे स्पष्ट है कि भारत परमाणु पनडुब्बी निर्माण में महत्वपूर्ण आत्मनिर्भरता हासिल कर चुका है।
K-4 मिसाइलों से लैस—3,500 किमी से अधिक मारक क्षमता
S4 में आठ K-4 बैलिस्टिक मिसाइलें तैनात की जा सकती हैं, जिनकी रेंज 3,500 किलोमीटर से अधिक बताई जाती है। इससे भारत समुद्र के भीतर से दूर स्थित लक्ष्यों पर भी जवाबी कार्रवाई करने में सक्षम होगा—जो इसे एक मजबूत परमाणु त्रय (Nuclear Triad) का महत्वपूर्ण हिस्सा बनाता है।
2027–28 तक नौसेना में शामिल होने की उम्मीद
समुद्री परीक्षण की प्रक्रिया 1 से 2 वर्ष तक चल सकती है। यदि सभी परीक्षण सफल रहे तो S4 को 2027–28 तक भारतीय नौसेना में शामिल किया जा सकता है। अभी इसका आधिकारिक नाम निर्धारित नहीं किया गया है—नामकरण परीक्षण पूरे होने के बाद किया जाएगा। परीक्षणों में रिएक्टर, इंजन क्षमता, हथियार प्रणाली और सुरक्षा मानकों की विस्तृत जांच शामिल है।
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