इस्लामाबाद: बलूचिस्तान में लोगों के गायब होने और गैर-न्यायिक हत्याओं के खिलाफ बलूच महिलाओं के नेतृत्व में एक मार्च बुधवार को इस्लामाबाद की तरफ शुरू किया गया, जिसके इस्लामाबाद के करीब पहुंचने से पहले ही पाक सरकार टूट पड़ी। इस मार्च को रोकने के लिए पाकिस्तान की कार्यवाहक काकर सरकार ने बेहद कड़ा रुख दिखाया। इस्लामाबाद पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को नेशनल प्रेस क्लब तक पहुंचने से रोकने के लिए जगह-जगह बैरिकेड लगाकर लठियां बरसाईं और आंसू गैस के गोले दागे। इस दौरान सैकड़ों लोगों को हिरासत में भी लिया गया।
पाक नहीं मानता बलूचों को बराबर का नागरिक
बलूच आबादी को पाकिस्तान में कभी भी समान नागरिक नहीं माना गया है। मुझे लगता है कि पाकिस्तानी सेना डरी हुई है। वे शांतिपूर्ण प्रदर्शनकारियों से सिर्फ इसलिए डरते हैं क्योंकि वे नहीं जानते कि उनसे कैसे निपटना है। उनके पास शांतिपूर्ण प्रदर्शनकारियों से निपटने का केवल एक ही साधन है, वो है ताकत का इस्तेमाल। वह हर एक प्रदर्शन को बलपूर्वक रोकना ही जानते हैं।
बलूचों की न्यायेतर हत्याओं के आरोपों की जांच की मांग की है। उन्होंने कहा ये बिल्कुल भी नहीं होना चाहिए। बलूच नेताओ ने ये भी कहा कि कोई सरकार के खिलाफ बंदूक उठाता है तो स्टेट को उनसे सख्ती से निपटना चाहिए। किसी को भी ये इजाजत नहीं दी जा सकती है कि वह बंदूक उठाकर हिंसा का सहारा ले लेकिन सरकार को भी ये महिलाओं के शांति से निकाले जा रहे मार्च पर लाठियां नहीं चलानी चाहिए।
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