खानपान और व्यायाम ही नहीं, हमारी रोजाना की सहज गतिविधियां भी तनावरहित जीवन व सेहत की देखभाल के मामले में अहम भूमिका निभाती हैं। खासकर इन एक्टिविटीज़ को दिया जाने वाला समय। जैसे बहुत समय बैठना भी सेहत के लिए घातक है तो बहुत ज्यादा चलना-दौड़ना भी। नींद की कमी भी परेशानी का सबब बनती है और सोने-जागने की कोई सधी समय सारिणी न होना भी। दिनभर की गतिविधियों में एक संतुलन आवश्यक है। अच्छे स्वास्थ्य को लेकर किए एक अध्ययन में वैज्ञानिकों द्वारा शारीरिक गतिविधियों के समय को लेकर कहा गया है कि दिनभर में खड़े रहने और बैठने के समय में भी एक बैलेंस होना चाहिए।
संतुलन आवश्यक
ऑस्ट्रेलिया में स्विनबर्न यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्नोलॉजी के शोधकर्ताओं ने कहा है कि लोगों को दिन में पांच घंटे खड़े रहना चाहिए और छह घंटे बैठना चाहिए। इसके अलावा प्रतिदिन चार घंटे हल्की और मध्यम शारीरिक गतिविधि करनी चाहिए। हल्की-फुलकी सहज फिजिकल एक्टिविटी का अर्थ चलने से लेकर खाना पकाने और घर के कामकाज पूरा करने तक से है। अध्ययन के अनुसार, नियमित रूप से शारीरिक गतिविधियां करने से हार्ट हेल्थ भी बेहतर होता है। असल में आज की बदली हुई जीवनशैली में बैठने-चलने का यह संतुलन हर उम्र के लोगों के लिए जरूरी हो गया है। मौजूदा लाइफस्टाइल में मनोरंजन से लेकर कामकाज और आसपास की आवाजाही तक, गाड़ी हो, आरामदायक कुर्सी हो या सोफा- अधिकतर समय बैठने तक सिमट गया है। यह गतिहीन जीवनशैली हर तरह से घातक है।
बैठने का समय बढ़ा
घर, दफ्तर हो या स्कूल, कालेज- हर आयुवर्ग के लोगों का लंबा समय एक ही जगह बैठे बीत रहा है। घंटों बैठे रहना आजकल के लाइफस्टाइल में आम बात है। यूं देर तक बैठे रहना सही-गलत पोश्चर का ख्याल भी नहीं रहने देता। साथ ही फिजिकल एक्टिविटी की कमी से डायबिटीज़, हार्ट प्रॉब्ल्म्स, कैंसर वैरिकॉज़ नर्व, कमर दर्द की परेशानी भी बढ़ रही है। मोटापा और आलस्य जैसी तकलीफ़ें तो आती ही आती हैं। इतना ही नहीं, लगातार बैठे रहने से तनाव और अवसाद भी बहुत बढ़ता है। अध्ययन बताते हैं कि बैठे रहने की आदत जीवन का जोखिम तक बढ़ाती है।
काम के बीच में ब्रेक
आमतौर पर कामकाजी और घरेलू दोनों ही मोर्चों पर गतिहीन जीवनशैली जी रहे लोग कुछ समय निकालकर सुबह-शाम तेज गति से की गई एक्सरसाइज़ जैसे साइकिलिंग, जॉगिंग या वॉक को ही महत्वपूर्ण मानते हैं। ज़्यादातर लोग लंबे समय तक बैठे रहने के दौरान बीच-बीच में ब्रेक लेकर कुछ कदम चलने या शरीर को स्ट्रैच करने की ओर ध्यान नहीं देते। जबकि नियमित रूप से ऐसे छोटे-छोटे विराम और हल्की-फुलकी मूवमेंट्स शरीर और मन-मस्तिष्क के लिए बेहद जरूरी हैं। इतना ही नहीं, सहज सी चहलकदमी हो या ब्रेक लेकर खिड़की से बाहर झांकने के लिए कुछ पल निकालना। सब कुछ अच्छी नींद, मन के सुकून और शरीर की सेहत के साथ गहराई से जुड़ा है।
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